गृह मंत्री जी परमेश्वर ने खुलकर डीके शिवकुमार का समर्थन किया है। उन्होंने कहा- अगर हाईकमान सिद्धारमैया की जगह शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाए तो पूरा सहयोग दूंगा।
कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच चल रही खींचतान अब चरम पर है। इस बीच, कर्नाटक के गृह मंत्री डॉ जी परमेश्वर ने बड़ा बयान दिया है।
जी परमेश्वर ने गुरुवार को कहा कि अगर पार्टी कर्नाटक में अपना मुख्यमंत्री बदलती है तो वह पूरा सपोर्ट करेंगे। उन्हें डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाए जाने से कोई परेशानी नहीं है। उन्होंने साफ कहा कि वह कांग्रेस हाईकमान के सभी फैसले मानेंगे।
उनका यह बयान तब आया है, जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सेंट्रल लीडरशिप जल्द ही इस मुद्दे को सुलझा लेगी। परमेश्वर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अगर हाईकमान शिवकुमार के पक्ष में फैसला करता है तो वह बदलाव का समर्थन करेंगे।
उन्होंने यह भी साफ किया कि पार्टी के सभी नेताओं को कांग्रेस की ओर से जो भी फैसला लिया जाएगा, उसे मानना होगा। हालांकि उनके बयान को सिद्धारमैया गुट से अलग देखा जा रहा है, लेकिन पॉलिटिकल एनालिस्ट्स इसे माइंड गेम का हिस्सा मान रहे हैं।
बता दें कि कर्नाटक में परमेश्वर को सिद्धारमैया गुट का नेता माना जाता है। वह सीएम के करीबी लोगों में से एक हैं। ऐसे में शिवकुमार को उनका समर्थन सिद्धारमैया के लिए बड़ा झटका है।
परमेश्वर की पहचान सीनियर दलित लीडर के रूप में है। उन्होंने बार-बार इशारा किया है कि अगर पार्टी लीडरशिप में बदलाव करती है तो वह सीएम पद की रेस में होंगे।
उधर, सिद्धारमैया के एक सहयोगी और पूर्व मंत्री के एन राजन्ना ने परमेश्वर की उम्मीदवारी का पुरजोर समर्थन किया है। इसके साथ ही 2013 में पार्टी को सत्ता में लाने में उनके रोल को याद किया।
बेंगलुरु से दिल्ली के लिए रवाना होते हुए खरगे ने कहा कि वह राहुल गांधी समेत सीनियर नेताओं के साथ लीडरशिप के मुद्दे पर चर्चा करेंगे और बाद में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को बुलाएंगे। वे बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों पर चर्चा करने के लिए दिल्ली में मीटिंग कर रहे थे और बाद में गुरुवार शाम को कर्नाटक के मुद्दे पर बात करेंगे।
वहीं, शिवकुमार ने कहा कि अगर हाईकमान बुलाता है तो वह मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के साथ दिल्ली जाएंगे। खबर है कि वह पार्टी नेताओं को 2023 में पार्टी के सत्ता में आने पर हुए पावर-शेयरिंग समझौते के बारे में याद दिलाना चाहते हैं, जिसके तहत सिद्धारमैया को ढाई साल बाद पद सौंपना था। सिद्धारमैया ने भी कहा कि वह पार्टी के सभी फैसले पर सहमत होंगे।