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मद्रास हाई कोर्ट ने Sadguru पर खड़े किए सवाल, आपकी बेटी की हो गई शादी तो दूसरों की बेटी क्यों बनेगी सन्यासी

Madras High Court: मद्रास हाई कोर्ट ने सद्गुरु के नाम से जाने, जाने वाले जग्गी वासुदेव पर सवाल उठाया कि उनकी अपनी बेटी शादीशुदा है और अच्छा जीवन जी रही है तो वो अन्य युवतियों को सिर मुंडवाने, सांसरिक जीवन त्यागने और संन्यासी की तरह जीवन जीने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहे हैं?

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Oct 01, 2024

Sadhguru: मद्रास हाई कोर्ट ने हाल ही में आध्यात्म से जुड़े सद्गुरु जग्गी वासुदेव से एक सवाल पूछा। हाई कोर्ट ने सद्गुरु से कहा जब आपकी बेटी की शादी कर सकती है तो फिर वे अन्य युवतियों को सिर मुंडवाने और सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यासी की तरह जीवन जीने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहे हैं? यह मामला तब सामने आया जब सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने अपनी बेटियों के ब्रैनवॉश की बात बताई। उन्होंने बताया की उनकी दो शिक्षित बेटियों का ब्रेन वॉश किया गया है और उन्हें ईशा योग केंद्र में रहने के मजबूर किया गया है।

गुरु के खिलाफ याचिका

कोयंबटूर में तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले एस कामराज ने अपनी बेटियों को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। सोमवार को प्रोफेसर की दोनों 42 और 39 वर्षीय बेटियां अदालत में पेश हुईं और उन्होंने कहा कि वे अपनी मर्जी से ईशा फाउंडेशन में रह रही हैं। उन्हें जबरन नहीं रखा जा रहा है। याचिका पर सुनवाई करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एस एम सुब्रमण्यम और वी शिवगनम की पीठ ने ईशा फाउंडेशन के संस्थापक से पूछा कि 'हम जानना चाहते हैं कि एक व्यक्ति जिसने अपनी बेटी की शादी कर दी और उसे जीवन में अच्छी तरह से स्थापित किया, वह दूसरों की बेटियों को सिर मुंडवाने और एकांतवासी की तरह जीवन जीने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहा है।'

ईशा फाउंडेशन का दावा

महिलाओं ने एक दशक पुराने मामले में पहले भी इसी तरह की गवाही दी थी। तब दोनों महिलाओं के माता-पिता ने दावा किया था कि उनकी बेटियों ने उन्हें छोड़ दिया है, जिसके बाद से उनका जीवन 'नरक' बन गया है। न्यायाधीशों ने मामले की आगे जांच करने का आदेश दिया और पुलिस को ईशा फाउंडेशन से संबंधित सभी मामलों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया। वहीं ईशा फाउंडेशन ने दावा किया कि महिलाओं ने स्वेच्छा से उनके साथ रहने का विकल्प चुना है। ईशा फाउंडेशन ने ब्यान देते हुए कहा कि वयस्क व्यक्तियों को अपने मार्ग चुनने की स्वतंत्रता और विवेक होता है। हम विवाह न करने या संन्यासी बनने पर जोर नहीं देते, क्योंकि ये व्यक्तिगत फैसला हैं। ईशा योग केंद्र में हजारों ऐसे लोग रहते हैं जो संन्यासी नहीं हैं, साथ ही कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने ब्रह्मचर्य या संन्यासी बनने का निर्णय लिया है।'

Updated on:
01 Oct 2024 04:29 pm
Published on:
01 Oct 2024 04:28 pm
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