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Mahakumbh Mela 2025: संगम पर 40 करोड़ श्रद्धालु लगाएंगे डुबकी, सरकार को 2.5 लाख करोड़ रेवेन्यू का अनुमान

Mahakumbh Mela 2025: महाकुंभ 2025 को लेकर उम्मीद जताई जा रही है देश-दुनिया से करीब 40 करोड़ लोग इसमें शामिल होने प्रयागराज पहुंचेंगे।

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Mahakumbh Mela 2025: महाकुंभ 2025 को लेकर उम्मीद जताई जा रही है देश-दुनिया से करीब 40 करोड़ लोग इसमें शामिल होने प्रयागराज पहुंचेंगे। सरकार ने 45 दिन के आयोजन में बुनियादी सुविधाओं पर भारी निवेश किया है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) के मुताबिक महाकुंभ से सरकार का राजस्व दो से ढाई लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। इससे पहले 2013 के महाकुंभ से सरकार को 12,000 करोड़ रुपए का राजस्व मिला था।

पूजा सामग्री-फूलों की बिक्री 2800 करोड़ रहने के आसार

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के मुताबिक महाकुंभ में उपभोक्ता चीजों का कारोबार 17,310 करोड़ रुपए से अधिक का हो सकता है। सिर्फ पूजा सामग्री की बिक्री 2,000 करोड़ और फूलों की बिक्री 800 करोड़ रुपए तक पहुंचने की संभावना है। पिछले कुंभ (2019) में करीब छह लाख लोगों को अलग-अलग क्षेत्रों में रोजगार मिला था। इस साल यह आंकड़ा डेढ़ गुणा तक बढ़ सकता है। उत्तर प्रदेश टूरिज्म डिपार्टमेंट के मुताबिक अब तक 45,000 परिवारों को इस आयोजन से रोजगार मिल चुका है।

केंद्र-राज्य से 4,600 करोड़ का आवंटन

राज्य सरकार ने 2024-25 के बजट में महाकुंभ के लिए 2,500 करोड़ रुपए आवंटित किए थे, जबकि केंद्र सरकार ने 2,100 करोड़ रुपए का स्पेशल पैकेज दिया। राज्य और केंद्र सरकार अब तक 6,382 करोड़ रुपए अलॉट कर चुकी हैं। इनमें से 5,600 करोड़ रुपए इवेंट मैनेजमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर खर्च किए गए।

आने-जाने की सुविधा

महाकुंभ के दौरान 13,000 ट्रेनें (3,000 विशेष ट्रेनों समेत) चलाई जाएंगी। श्रद्धालुओं को 7,000 से अधिक बसें भी उपलब्ध होंगी। इनमें 200 वातानुकूलित बसें शामिल हैं। इसके अलावा नियमित उड़ानों के साथ 200 से अधिक चार्टर फ्लाइट उपलब्ध होंगी।

अंडरवाटर ड्रोन, 11 भाषाओं में एआई-संचालित चैट-बॉट

यह पहली बार है जब कुंभ में एक साइबर टीम तैनात की गई है। 14-सदस्यीय टीम को निगरानी और साइबर अपराध को सुलझाने का काम सौंपा गया है। पहली बार यूपी पुलिस ने नदी के तल पर गश्त करने के लिए उन्नत इमेजिंग क्षमताओं से लैस अंडरवाटर ड्रोन तैनात किए हैं। रिमोट-नियंत्रित लाइफबॉय के साथ ये ड्रोन 24/7 जलीय निगरानी की जा रही हैं। यह कमांड सेंटर को रियल टाइम का डेटा भेजते हैं। एआई निगरानी प्रणालियों के अलावा सरकार ने एआई-संचालित चैट-बॉट भी लॉन्च किया है, जो 11 से अधिक भाषाओं का समर्थन करता है। नेविगेशन में मदद करने के लिए गूगल मैप्स के साथ काम कर रहे है।

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