Manmohan Singh Funeral: देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार शनिवार को सुबह 11:45 बजे दिल्ली के निगमबोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
Manmohan Singh Funeral: देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार शनिवार को सुबह 11:45 बजे दिल्ली के निगमबोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह जानकारी शुक्रवार को दी। डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात दिल्ली के एम्स अस्पताल में 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। गृह मंत्रालय के अनुसार, डॉ. सिंह का अंतिम संस्कार पूरे सैन्य और राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय से इस संबंध में सभी आवश्यक प्रबंध करने का अनुरोध किया गया है। अंतिम संस्कार से पहले, डॉ. मनमोहन सिंह के पार्थिव शरीर को कांग्रेस मुख्यालय में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार रात जानकारी दी कि सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए स्थान आवंटित करने का निर्णय लिया है। यह जानकारी मनमोहन सिंह के परिवार और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को दी गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को फोन कर डॉ. मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए स्थान आवंटित करने की अपील की थी।
सरकार ने उनकी अपील को स्वीकार करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री के स्मारक के लिए स्थान आवंटित करने की पुष्टि की। स्मारक के स्थान और निर्माण से जुड़ी अन्य प्रक्रियाओं को अंतिम रूप देने के लिए संबंधित विभागों को निर्देश दिए गए हैं। डॉ. मनमोहन सिंह का स्मारक उनके योगदान और देश सेवा के प्रति सम्मान का प्रतीक होगा। उनकी आर्थिक नीतियों और नेतृत्व ने भारत को वैश्विक मंच पर नई पहचान दिलाई।
डॉ. मनमोहन सिंह का नाम भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में एक परिवर्तनकारी नेता के रूप में हमेशा याद किया जाएगा। उनका लंबा 33 वर्षों का राज्यसभा कार्यकाल और देश के विकास में उनका योगदान उन्हें भारतीय इतिहास के महान नेताओं की पंक्ति में खड़ा करता है।
डॉ. सिंह देश के उन चुनिंदा नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने लगभग तीन दशकों तक राज्यसभा में देश का प्रतिनिधित्व किया। वह पहली बार 1991 में राज्यसभा सांसद बने और इसके बाद विभिन्न कार्यकालों में राज्यसभा के सदस्य रहे।
1991 से 1996: नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री के रूप में, उन्होंने आर्थिक उदारीकरण और नवीन वित्तीय सुधारों की नींव रखी। उनके नेतृत्व में भारत ने विदेशी निवेश को बढ़ावा देने, औद्योगिक नीति को उदार बनाने, और वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ने की शुरुआत की।