जम्मू-कश्मीर में सियासी पारा चढ़ा हुआ है! महबूबा मुफ्ती ने यूएपीए के तहत बंद कैदियों की रिहाई की मांग को लेकर उमर अब्दुल्ला से गुहार लगाई, लेकिन उमर ने उन्हें सीधे अमित शाह से मिलने की सलाह दे दी। महबूबा ने गुरमीत सिंह जैसे बलात्कारियों को मिलने वाली पैरोल का जिक्र करते हुए अपनी चिंता जाहिर की। क्या इस मुलाक़ात से जम्मू-कश्मीर के कैदियों को राहत मिलेगी?
जम्मू-कश्मीर में सियासी घमासान मच गया है। दरअसल, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार जम्मू-कश्मीर के लोगों की रिहाई पर चर्चा करने का आग्रह किया था।
महबूबा मुफ्ती ने यूएपीए के तहत जेल में बंद कैदियों की रिहाई की मांग को लेकर श्रीनगर में विरोध प्रदर्शन किया। इसके साथ, 'जेल नहीं, बेल चाहिए' का नारा भी दिया।
मीडिया से बात करते महबूबा ने कहा कि हम आज जम्मू-कश्मीर और अन्य जगहों पर जेल में बंद निर्दोष लोगों, खासकर उन लोगों के लिए विरोध प्रदर्शन करना चाहते थे जिनके माता-पिता मुकदमा लड़ने में सक्षम नहीं हैं। हम मांग करना चाहते थे कि उमर अब्दुल्ला गृह मंत्री से बात करें।
पीडीपी प्रमुख ने कहा कि अगर कैदियों को रिहा नहीं किया जा सकता, तो उन्हें कम से कम जम्मू-कश्मीर के ही जेल में रखा जाना चाहिए, क्योंकि उनके परिवार के लोगों को अदालतों में मुकदमा लड़ते हुए कष्ट झेलना पड़ता है।
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जेल में जब वे बीमार होते हैं तो उनकी देखभाल कौन करता है? उनकी बात कौन सुनेगा? यह राजनीति का मामला नहीं है; यह मानवता का मामला है।
उन्होंने मुख्यमंत्री अब्दुल्ला से केंद्र शासित प्रदेश के बाहर की जेलों में यूएपीए के तहत बंद जम्मू-कश्मीर के लोगों तक पहुंचने के लिए एक टीम बनाने का भी अनुरोध किया।
उन्होंने कहा कि हमने विधानसभा में एक प्रस्ताव लाने की कोशिश की, लेकिन सरकार ने उस पर विचार नहीं किया। उन्हें (यूएपीए के कैदियों को) पैरोल नहीं मिलती, जबकि गुरमीत सिंह जैसे बलात्कारी और हत्यारे को पैरोल पर रिहा कर दिया जाता है। मैं उमर अब्दुल्ला से अनुरोध करती हूं कि वे जम्मू-कश्मीर के कैदियों तक पहुंचने के लिए मंत्रियों की टीम बनाएं।
वहीं, मुफ्ती की मांगो का जवाब देते हुए, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें अपनी मांगे सीधे केंद्रीय मंत्री अमित शाह के सामने रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम सभी इसे लेकर चिंतित हैं। लेकिन श्रीनगर में विरोध प्रदर्शन से कोई फायदा नहीं होने वाला।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा से जुड़े फैसले दिल्ली में गृह मंत्रालय लेता है। उन्हें दिल्ली जाकर सीधे गृह मंत्री से मिलना चाहिए और उनके सामने अपनी बात रखनी चाहिए। लेकिन अगर वह दिखावे के लिए यहां विरोध प्रदर्शन करना चाहती हैं, तो कर सकती हैं। किसी को इसमें कोई आपत्ति नहीं है।