
इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वैपन सिस्टम (आइएडीडब्ल्यूएस)। (फोटो- ANI)
भारत ने मिशन सुदर्शन चक्र के तहत बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाते हुए शनिवार को स्वदेशी इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वैपन सिस्टम (आइएडीडब्ल्यूएस) की पहली उड़ान का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की ओर से किए गए परीक्षण के दौरान आइएडीडब्ल्यूएस ने दो हाई स्पीड फिक्स विंग अनमैन्ड ड्रोन, मल्टीकॉप्टर ड्रोन समेत तीन अलग-अलग लक्ष्यों को मार गिराया।
यह सभी लक्ष्य अलग-अलग दूरी और ऊंचाइयों पर थे। डीआरडीओ के मुताबिक यह पूरा सिस्टम स्वदेशी तकनीक पर आधारित है।
एयर डिफेंस वेपन सिस्टम (QRSAM)- ये क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम ड्रोन, हेली व क्रूज मिसाइल को 30 किमी की रेंज में मार गिराएगा। इनकी गति मैक 4.7 यानी 5757.70 किमी प्रति घंटा होती है।
वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS)- इसकी रेंज 6-7 किलोमीटर है। लो फ्लाइंग ऑब्जेक्ट्स के खिलाफ कारगर है। यह प्रणाली पोर्टेबल और रूस के एस-400 रक्षा प्रणाली से मिलती-जुलती है। इसकी गति 1800 किलोमीटर प्रतिघंटा है।
डायरेक्ट एनर्जी वेपन (DEW)- यह एक लेजर गन है। यह ड्रोन के झुंड के खिलाफ बेहद कारगर प्रणाली है। DRDO ने DEW को पहली बार अपने एयर डिफेंस सिस्टम में इंटीग्रेट किया है।
इसमें हवा में क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल, वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम मिसाइल और एक शक्तिशाली लेजर-आधारित डायरेक्ट एनर्जी वेपन शामिल हैं।
यह सभी प्रणाली मिलकर मजबूत सुरक्षा कवच बनाती हैं। आइएडीडब्ल्यूएस को सुदर्शन चक्र मिशन का हिस्सा है। यह एक साथ छोड़े गए कई ड्रोन अटैक के खिलाफ रक्षा कवच बनेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से दिए भाषण में सुदर्शन चक्र मिशन की घोषणा की थी।
नई रक्षा प्रणाली की रडार यूनिट आने वाले खतरों पर नजर रखती है और उन्हें वर्गीकृत करती है। इसके बाद कमांड सेंटर ज्यादा ऊंचाई से आने वाले तेज गति से आने वाले खतरों के लिए क्विक एक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल को निर्देश देता है।
इसी के साथ कम रेंज और धीमी गति से होने वाले हमले के लिए एडवांस्ड वैरी शॉर्ट एयर डिफेंस सिस्टम मिसाइलें सक्रिय होती हैं। इसके साथ ही साथ ड्रोन और अन्य हमलों के लिए लेजर बेस्ड डायरेक्टेड एनर्जी वेपन हमला करता हैं।
भारत सुदर्शन चक्र नाम से एक नई राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली (एयर डिफेंस सिस्टम) विकसित कर रहा है। इसे डीआरडीओ और इसरो मिलकर बना रहे हैं। यह प्रणाली देश को हवाई हमलों, मिसाइलों और ड्रोन हमलों से बचाने के लिए डिजाइन की गई है।
रेंज: 2500 किलोमीटर तक दुश्मन की मिसाइलों को नष्ट करने की क्षमता।
ऊंचाई: 150 किलोमीटर तक हवा में मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर सकेगा।
प्रौद्योगिकी: इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) और लेजर-गाइडेड सिस्टम होगा, जो सटीक निशाना लगा सकेगा।
गति: 5 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से मिसाइल दाग सकेगा।
संरचना: यह एक ग्राउंड-बेस्ड और स्पेस-बेस्ड हाइब्रिड सिस्टम होगा, जिसमें सैटेलाइट और रडार नेटवर्क शामिल होंगे।
लक्ष्य: बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और हाइपरसोनिक हथियारों को नष्ट करना।
तैनाती: इसे 2026 तक चालू करने का लक्ष्य है। इस पर करीब 50,000 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।
Published on:
25 Aug 2025 01:19 pm
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