Naxal Operation : पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी से शुरू हुआ एक विरोधी स्वर कब आतंक में बदल गया पता ही नहीं चला जब तक पता चला यह आग आंध्रप्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़ होते हुए महाराष्ट्र तक पहुंच चुकी थी। अब एक दौर नया चला है। नक्सलियों का नक्सलवाद से मोह भंग हो रहा है। पढ़िए जगदलपुर से आकाश मिश्रा की स्पेशल रिपोर्ट।
बस्तर में जनताना सरकार कमजोर पड़ी है यानी नक्सलियों के आधार क्षेत्र में अब सरकार का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। अंदरुनी क्षेत्रों में सरकार की पहुंच बढ़ते ही आदिवासियों का नक्सलवाद से मोहभंग होने लगा है। इस वर्ष अब तक 570 नक्सलियों ने समर्पण किया है। यह एक रिकॉर्ड है क्योंकि बीते 5 साल में इतनी बड़ी संख्या में समर्पण नहीं हुआ है। इनमें से अधिकतर स्थानीय आदिवासी हैं, जो नक्सलियों के दबाव में संगठन से जुड़े थे।
स्थिति यह है कि प्रतिमाह करीब 70 नक्सली संगठन छोड़ रहे हैं। नक्सलियों का समर्पण पिछले वर्षों की तुलना में लगभग दोगुना हुआ है। पिछले साल 398 नक्सलियों ने संगठन छोड़ा था। प्रदेश में में नई सरकार के आने के बाद से नक्सली कमजोर पड़े हैं। आए दिन हो रहे मुठभेड़ में उन्हें बड़ा नुकसान हो रहा है। दूसरी ओर सरेंडर की वजह से उनकी पकड़ बस्तर में तेजी से कमजोर पड़ रही है। ऐसे इलाके जहां नक्सलियों की एकतरफा चला करती थी वहां पर अब फोर्स का दबदबा नजर आ रहा है।
प्रशासन की पहुंच अंदरुनी क्षेत्रों में नहीं होने से नक्सल संगठन से जुडऩा आदिवासियों की विवशता थी। पिछले कुछ माह में नक्सल क्षेत्रों में सुरक्षा बल के नए कैंप खोलकर नियद नेल्लानार योजना से गांवों में सडक़-बिजली- पानी, स्कूल की सुविधाएं पहुंचाई गई हैं। इससे लोगों का भरोसा सरकार पर बढ़ा है। बस्तर के नक्सल प्रभावित बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा व नारायणपुर में बड़ी संख्या में अब नक्सली समर्पण करने सामने आ रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 24 अगस्त को रायपुर में नक्सलियों के विरुद्ध अभियान तेज करने की बात कही थी। वर्ष 2026 तक नक्सलवाद को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। लगातार पड़ोसी राज्यों के समन्वय से नक्सल अभियान को तेज किए दिए है।
राज्य सरकार प्रदेश में नई सरेंडर पॉलिसी भी जल्द लागू करने वाली है। राज्य के गृहमंत्री विजय शर्मा का कहना है कि सरेंडर नीति का निर्माण अंतिम दौर में है। यह लागू होने के बाद समर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास के दौरान कई तरह की सुविधाएं मिलेंगी। नीति को जानने के बाद नक्सली मुख्य धारा में लौटेंगे।
वर्ष समर्पण
2019 311
2020 242
2021 551
2022 413
2023 398
2024 570 (अब तक सर्वाधिक)
कुल 2585
बस्तर आईजी पी सुंदराज बताते है। कि नियद नेल्लानार योजना की वजह से अंदरूनी इलाकों में तेजी से विकास हो रहा है। ग्रामीण समझ रहे हैं कि उनका हितैषी कौन है। यही कारण है कि बड़ी संख्या में सरेंडर हो रहे हैं। स्थानीय बोली में सरकार की नीतियों का प्रचार किया जा रहा है। इसका भी फायदा हुआ है। आगे सरेंडर का आंकड़ा और बढ़ेगा।