नए नियम को लेकर प्रदेश सरकार का कहना है कि इस कदम से कारोबार में आसानी होगी, निवेश आकर्षित होगा, रोज़गार के अवसर पैदा होंगे और कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा होगी।
महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को बड़ा फैसला लिया है। मंत्रिमंडल ने निजी कंपनियों में दैनिक कार्य 9 घंटे से बढ़ाकर 10 घंटे करने के लिए कानून में संशोधन को मंजूरी दे दी है। अधिकारी ने इस फैसले को लेकर कहा कि इसका मकसद निवेश आकर्षित करना और रोजगार बढ़ाना है। इसके अलावा श्रमिकों के अधिकारों की भी रक्षा करना है।
अधिकारियों के अनुसार ये बदलाव कारखाना अधिनियम 1948 और महाराष्ट्र दुकानें एवं प्रतिष्ठान (रोज़गार एवं सेवा शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 2017 में किए जाएंगे। नए नियमों के तहत दैनिक कार्य 9 से बढ़कर 10 घंटे हो जाएंगे और पांच घंटे के बजाय छह घंटे के बाद विश्राम अवकाश की अनुमति होगी।
इसके अलावा कर्मचारियों की लिखित सहमति के अधीन, कानूनी ओवरटाइम की सीमा प्रति तिमाही 115 घंटे से बढ़कर 144 घंटे हो जाएगी। साप्ताहिक कार्य घंटे भी 10.5 घंटे से बढ़कर 12 घंटे हो जाएंगे और आपातकालीन ड्यूटी शिफ्ट को 12 घंटे तक बढ़ा दिया जाएगा।
बता दें कि यह नियम 20 या उससे ज़्यादा कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों पर लागू होंगे। 20 से कम कर्मचारियों वाले व्यवसायों को पंजीकरण प्रमाणपत्रों से छूट दी जाएगी, लेकिन उन्हें अभी भी एक सरल सूचना प्रक्रिया के ज़रिए अधिकारियों को सूचित करना होगा।
नए नियम को लेकर प्रदेश सरकार का कहना है कि इस कदम से कारोबार में आसानी होगी, निवेश आकर्षित होगा, रोज़गार के अवसर पैदा होंगे और कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा होगी। जिसमें ओवरटाइम के लिए दोगुना वेतन भी शामिल है।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने केंद्रीय कार्यबल द्वारा अनुशंसित श्रम कानून संशोधनों की एक श्रृंखला को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा जैसे अन्य राज्यों के साथ शामिल हो गया है, जिन्होंने पहले ही इसी तरह के सुधार लागू कर दिए हैं।