पुणे के ₹300 करोड़ के ज़मीन घोटाले की मुख्य आरोपी शीतल तेजवानी, जो अब भी फरार है, पर पहले भी अपने पति के साथ मिलकर एक सहकारी बैंक को ₹60.7 करोड़ का चूना लगाकर उसकी शाखाएं बंद करवाने और 1 लाख जमाकर्ताओं को नुकसान पहुँचाने का आरोप लग चुका है, जिससे महाराष्ट्र की राजनीति गरमाई हुई है।
पुणे जमीन सौदे को लेकर महाराष्ट्र में राजनीति गरमाई हुई है. इस घोटाले की मुख्य आरोपी शीतल तेजवानी अब भी पुलिस की गिरफ्त से फरार है। शीतल तेजवानी पर पुणे में 300 करोड़ रुपये के जमीन घोटाले का आरोप है, इसमें महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ से कथित तौर पर लिंक भी निकलकर सामने आया है, जिसकी वजह से ये मामला हाई प्रोफाइल हो चुका है। इस मामले में छापेमारी और जांच चल रही है। मगर, इस घोटाले की मुख्य किरदार शीतल तेजवानी के फ्रॉड और धांधली की कहानी सिर्फ पुणे जमीन सौदे तक सीमित नहीं है, बल्कि इसने अपने पति के साथ मिलकर एक को-ऑपरेटिव बैंक को ऐसा लूटा कि उसकी सारी शाखाएं ही बंद हो गईं, जिसकी कीमत बैंक के 1 लाख डिपॉजिटर्स को चुकानी पड़ी।
जानकारी के अनुसार, शीतल तेजवानी ने पिंपरी के एक सेवा विकास सहकारी बैंक को 60.7 करोड़ रुपये का चूना लगाया है। इस मामले में तेजवानी और उनके पति सागर सूर्यवंशी को 2018 में कई करोड़ रुपये के घोटाले में नामजद किया गया है। बैंक को 124 NPA में कुल 429 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। तेजवानी ने कथित तौर पर को-ऑपरेटिव बैंक को 10 लोन के जरिए 60.7 करोड़ रुपये का चूना लगाया। इन्होंने बैंक की पिंपरी और बुधवार पेठ शाखाओं से पूरी रकम कैश में निकाली। मामला सामने आने के बाद सागर सूर्यवंशी को 2023 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बैंक को ठगने के आरोप में गिरफ्तार किया था, लेकिन शीतल तेजवानी अग्रिम जमानत हासिल करने में कामयाब रहीं।
इस मामले में पिंपरी के RTI कार्यकर्ता धनराज अस्वानी बताते हैं कि, हमने सोचा था कि पति-पत्नी ने जो धांधली की है, उसके चलते वह लंबे समय तक जेल में रहेंगी, लेकिन जमानत मिल जाना दिखाता है कि हमारा सिस्टम कैसे काम करता है। अस्वानी ने आगे कहा, दोनों पति और पत्नी शीतल तेजवानी और सागर सूर्यवंशी ने करोड़ों रुपये कैश निकाले। इन्होंने पांच लग्जरी गाड़ियां खरीदने के नाम पर कम से कम 20 करोड़ रुपये निकाले। लेकिन मजे की बात ये है कि 5 करोड़ रुपये की मर्सिडीज खरीदने के लिए पति-पत्नी ने बैंक को एक स्कूटर की नंबर प्लेट जमा कर दी। अस्वानी ने दावा किया कि इसके लिए फर्जी दस्तावेज जमा किए गए और RTI से ये बात सामने आई कि जो नंबर प्लेट दी गई थी, वो किसी मर्सिडीज कार की नहीं बल्कि किसी स्कूटर की थी।
इसी तरह कोरेगांव पार्क में 20 करोड़ की संपत्ति दिखाकर लोन लिया गया। अस्वानी बताते हैं कि कोरेगांव पार्क में लॉन के नाम पर यह कर्ज लिया गया, लेकिन जब उस जगह पर जाकर देखा तो वहां पर सिर्फ एक दीवार थी, लॉन का नामो निशान नहीं था। अस्वानी के कई दावों का जिक्र सरकारी ऑडिट रिपोर्ट और पिंपरी पुलिस की जांच में भी है। अस्वानी ने आगे कहा, ये काम कोई भी अकेले नहीं कर सकता, जब तक कि बैंक का कोई बड़ा अधिकारी इसमें शामिल न हो, यहां भी यही कहानी सामने आई है। अस्वानी ने बताया कि इस घोटाले में तत्कालीन चेयरमैन और 18 डायरेक्टर्स पर भी आरोप हैं। अब तक सिर्फ दो गिरफ्तार हुए और बाकी का पता नहीं है।
अस्वानी ने सवाल पूछा कि बाकी लोग कहां हैं, उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा। अस्वानी आरोप लगाया कि पुलिस सहित कई सरकारी एजेंसियों के अधिकारी आरोपियों का साथ दे रहे थे। उन्होंने कहा, पति-पत्नी ने करोड़ों रुपये कैश निकाले और बैंक अधिकारियों के साथ इसको बांटा। यह सब खुलेआम और बेशर्मी से किया गया। अस्वानी ने आगे कहा, अगर तेजवानी जेल में ही रहती तो कोरेगांव जमीन घोटाला होता ही नहीं।
2016 में धनराज अस्वानी और एस अस्वानी नामक दो व्हिसलब्लोअर ने मुख्यमंत्री और सहकारिता मंत्री से शिकायत की। शिकायत को संज्ञान में लिया गया, इसके बाद 2017 में ऑडिट कराया गया 2019 में जारी ऑडिट रिपोर्ट में जो सामने आया वो बेहद चौंकाने वाला था। इसमें 429 करोड़ के लोन बांटने में गड़बड़ियां सामने आईं। उस समय के बैंक डायरेक्टर और चेयरमैन और अन्य अधिकारियों की जांच हुई।
घोटाला इतना बड़ा था कि साल 2021 में रिजर्व बैंक भी एक्शन में आया और बैंक के लिए एक एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया। अक्टूबर 2022 में RBI ने बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया और महाराष्ट्र के सहकारिता आयुक्त को बैंक बंद करने और लिक्विडेटर नियुक्त करने का निर्देश दिया। पूर्व पिंपरी-चिंचवाड़ उप-महापौर डब्बू अस्वानी ने बताया कि बैंक की सभी 28 शाखाएं बंद कर दी गई हैं। जिसमें करीब 1 लाख डिपॉजिटर्स थे, RBI ने डिपॉजिट इंश्योरेंस स्कीम के तहत सभी डिपॉजिटर्स को अधिकतम 5 लाख रुपये तक लौटाने का आदेश दिया है।
जून 2023 में ED ने सागर सूर्यवंशी को PMLA के तहत गिरफ्तार किया। ED का कहना है कि सागर सूर्यवंशी और उनकी पत्नी ने 10 NPA लोन अकाउंट्स के जरिए 60.67 करोड़ रुपये की ठगी की। जबकि इतना लोन लेने के लिए उनकी क्रेडिट एलिजिबिलिटी नहीं थी, लोन से नकद निकालकर इन लोगों ने उसका निजी इस्तेमाल किया और ये सबकुछ बैंक चेयरमैन के साथ मिलीभगत करके हुआ है।
अब बात तीसेर घोटाले की, पुणे में मुंडवा की 40 एकड़ सरकारी जमीन की विवादित बिक्री को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति गर्माई हुई है क्योंकि इसमें महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार का नाम सामने आया है। पार्थ के अलावा दिग्विजय पाटिल भी इस घोटाले की जद में आए हैं। दिग्विजय अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा के भतीजे हैं। सुनेत्रा इस समय राज्यसभा की सदस्य हैं। यानी मामला काफी हाई प्रोफाइल है। मामले के तूल पकड़ने के बाद अजित पवार ने दावा किया कि लैंड डील रद्द कर दी गई है। उन्होंने बेटे का बचाव किया और कहा कि जांच में सब कुछ सामने आ जाएगा।
पुणे के मुंडवा इलाके की 40 एकड़ जमीन पहले अनुसूचित जाति के महार (SC) समुदाय की है। साल 1973 में सरकार ने यह जमीन भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (BSI) को 15 साल के लिए लीज पर दी थी। इस लीज को साल 1988 में बढ़ाकर 50 साल के लिए कर दिया गया। BSI ने इस जमीन पर 1 रुपये सालाना की फीस पर अपना शोध का किया और दफ्तर भी बनाया। सरकारी कागजों में इस जमीन का मालिकाना हक आज भी सरकार के नाम ही दर्ज है।
इस जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी तेजवानी के पास थी, इस जमीन के 272 मूल मालिक थे। तेजवानी ने यह जमीन अमाडिया एंटरप्राइजेज LLP को लगभग 300 करोड़ रुपए में बेच दी। अमाडिया में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार डायरेक्टर हैं। 6 दिन के बाद ही अमाडिया ने तत्कालीन तहसीलदार सूर्यकांत येओले से जमीन खाली कराने की सिफारिश की। येओले ने BSI को नोटिस भेजा और कहा कि BSI की लीज खत्म हो चुकी है इसलिए जमीन को खाली करना होगा।
इस नोटिस को लेकर BSI की टीम पुणे के जिला कलेक्टर जितेंद्र डूडी से मिली, तब जाकर पता चला कि पूरे नोटिस की प्रक्रिया ही गलत थी। जितेंद्र डूडी ने कहा कि तहसीलदार ने जमीन मालिकों के दावे को बिना जांच पड़ताल के सीधे ही स्वीकार कर लिया, जबकि जमीन सरकारी रिकॉर्ड में अब भी सरकार के नाम दर्ज है। कलेक्टर के आदेश पर बेदखली की प्रक्रिया रुकवाई गई और पूरा मामला जांच के लिए भेज दिया। घोटाले की जांच में यह भी सामने आया है कि निलंबित तहसीलदार सूर्यकांत येवले ने कुछ दस्तावेजों को मंजूरी दी थी, जिससे घोटाले में उनकी भूमिका पर भी संदेह जताया जा रहा है। इधर, पुणे जमीन घोटाले में बावधन पुलिस ने मुख्य आरोपी शीतल तेजवानी के बंद घर पर छापा मारकर कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और रसीदें बरामद की हैं।