लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बिहार यात्रा में जहां सीएम नीतीश कुमार और पीएम नरेंद्र मोदी को घेरा। वहीं, सीएम फेस पर चुप्पी साधकर उन्होंने राजद नेता तेजस्वी यादव की टेंशन बढ़ा दी है। जानिए क्या है इसके पीछे की वजह...
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की वोटर अधिकार यात्रा 16 दिन बाद पटना में ‘गांधी सेअंबेडकर’ रैली के साथ समाप्त हो गई। राहुल ने इस यात्रा से जहां चुनाव आयोग (Election Commission) पर भाजपा (BJP) से मिलीभगत के आरोप लगाए, वहीं भाजपा-जदयू सरकार (BJP-JDU Government) पर निशाना साधा।
इसके साथ ही राहुल ने जान फूंककर कांग्रेस की सीट शेयरिंग के लिए बार्गेनिंग पावर बढ़ा दी है। इससे महागठबंधन में अपने सबसे पुराने साथी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का दबाव में आना तय है। यात्रा के समापन पर राहुल ने कहा कि भाजपा के लोग सावधान, ‘एटम’ के बाद अब ‘हाइड्रोजन बम’ आएगा, ‘वोट चोरी’ की सच्चाई पूरे देश को पता लगने जा रही है। बिहार में कांग्रेस की उपस्थिति पिछले तीन दशक से नाममात्र रही है।
इस बार कांग्रेस नेता राहुल गांधी की आक्रमक रूप से निकाली गई वोटर अधिकार यात्रा ने परिदृश्य को बदला है। यात्रा में तेजस्वी यादव, मुकेश सहनी और दीपांकर भट्टाचार्य भी मौजूद रहे, पर सबसे अधिक चर्चा राहुल की रही। इससे आने वाले दिनों में सीट शेयरिंग के दौरान कांग्रेस मनपसंद सीटों के साथ संख्या बढ़ाने का दबाव राजद पर बनाती दिख सकती है।
बिहार में एसआइआर प्रक्रिया के खिलाफ राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा ने 16 दिन में 23 जिलों में करीब 1300 किलोमीटर का सफर तय किया। इस दौरान 110 विधानसभा सीट कवर की गई, जिसमें करीब 80 विधानसभा सीटों पर भाजपा, जदयू व एनडीए के घटक दलों का कजा है।
बिहार की 243 में से करीब 90 से 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कांग्रेस कर रही है। जबकि पिछली बार राजद ने खुद 144 सीटें रखीं और कांग्रेस को 70 सीटें दी थीं।
बिहार में महागठबंधन के सीएम चेहरे को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यात्रा के दौरान चुप्पी साधे रखी। उन्होंने इतना ही कहा कि अच्छे तरीके से पार्टनरशिप बनी है, कोई टेंशन नहीं है, म्युचुअल रिस्पेक्ट है, हम पॉलिटिकली-आइडियोलॉजिकली अलाइंड हैं।