Bihar Election: बिहार के विपक्षी महागठबंधन गठबंधन के भीतर कलह आरजेडी और कांग्रेस के बीच खुले टकराव में बदल गई है, हाल की घटनाओं ने सीट बंटवारे की व्यवस्था और होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों के लिए मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के प्रक्षेपण पर गहरी दरार को उजागर किया है।
Bihar Election: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए महागठबंधन (INDIA ब्लॉक) में RJD और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे तथा मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर खुली खुली टकराहट हो गई है। अक्टूबर-नवंबर में होने वाले 243 सीटों वाले चुनाव से ठीक पहले ये दरारें विपक्षी एकता पर सवाल खड़ी कर रही हैं, जबकि सत्ताधारी NDA (नीतीश कुमार के नेतृत्व में) मजबूत स्थिति में है।
सबसे ताजा घटना औरंगाबाद जिले के कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र में घटी, जहां बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने महागठबंधन के कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई। लेकिन RJD के ब्लॉक और जिला अध्यक्षों ने साथ ही पूर्व विधायक सुरेश पासवान ने बिना वजह बताए इसका बहिष्कार कर दिया। RJD नेताओं ने सोमवार को पासवान के नेतृत्व में अपनी अलग रणनीति बैठक आयोजित की, जिसमें चुनावी योजनाओं पर चर्चा हुई। पासवान, जो 2005 में RJD से कुटुंबा जीत चुके हैं और तत्कालीन RJD सरकार में मंत्री रह चुके हैं, ने कार्यकर्ताओं को एकजुट करने का प्रयास किया। यह घटना गठबंधन में बढ़ती असहमति को उजागर करती है।
विवाद की जड़ सीएम पद के उम्मीदवार को लेकर है। पिछले सप्ताह AICC के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने कहा कि INDIA ब्लॉक का सीएम फेस बिहार की जनता तय करेगी। यह बयान RJD को चुभ गया, जो तेजस्वी प्रसाद यादव को गठबंधन का चेहरा बनाने पर अड़ा है। तेजस्वी, विधानसभा में विपक्ष के नेता, खुद को सीएम दावेदार बताते हुए नीतीश कुमार को दुबला-पतला CM और दुबारा CM कहकर आलोचना कर रहे हैं। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे कांग्रेसी नेताओं के सामने भी वे ऐसा कह चुके हैं।
तेजस्वी ने 13 सितंबर को मुजफ्फरपुर के कांटी में रैली में कहा, इस बार तेजस्वी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। कांटी, मुजफ्फरपुर, गायघाट—हर जगह से। सबको अपील है कि तेजस्वी को वोट दो, बिहार को आगे ले जाएंगे। उन्होंने जोर देकर कहा, हम लौटेंगे। याद रखो, तेजस्वी सभी 243 सीटों पर मैदान में होगा। राजनीतिक विश्लेषक इसे गठबंधन पर दबाव बनाने और RJD आधार मजबूत करने की रणनीति मानते हैं।
कांग्रेस की ओर से NSUI प्रभारी और युवा चेहरा कन्हैया कुमार ने 9 सितंबर को पटना में मीडिया सम्मेलन में कहा, हमें 70 सीटों तक क्यों सीमित कर रहे हो? हम सभी 243 सीटों पर लड़ेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि उम्मीदवार का फैसला पार्टी लेगी, लेकिन गठबंधन सभी सीटों पर लड़ेगा। यह बयान सीट बंटवारे पर कांग्रेस की मांग को दर्शाता है, जो 2020 की तरह 60-70 या इससे अधिक सीटें चाहती है।
विवाद की जड़ें राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा से जुड़ी हैं, जहां RJD को किनारे लगने का अहसास हुआ। कांग्रेस अब दूसरा वायदा निभाने को तैयार नहीं। सूत्रों के अनुसार, अगर सीटें कम मिलीं तो डिप्टी सीएम पद की मांग कर रही है, जो विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के मुकेश साहनी भी दोहरा रहे हैं।
अन्य सहयोगी भी चुनौती दे रहे हैं। CPI(ML) लिबरेशन ने 2020 में 19 सीटों पर 12 जीतीं, अब 40-45 चाहती है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और पशुपति कुमार पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) RJD से बातचीत में हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM), जो पिछले चुनाव में 5 सीटें जीती, गठबंधन में शामिल होने की कोशिश कर रही है। 6 सितंबर को तेजस्वी के आवास पर हुई बैठक में RLJP और JMM को INDIA ब्लॉक में शामिल करने पर सहमति बनी, लेकिन RJD-कांग्रेस को कम सीटें मिलेंगी। 2020 में महागठबंधन को कुल 110 सीटें मिलीं (RJD-75, कांग्रेस-19), जबकि NDA को 125। अब नए सहयोगियों से फ्रैगमेंटेशन बढ़ा है।