RSS chief Bhagwat: मोहन भागवत ने कहा कि लिव इन में रहने वाले अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं। उन्होंने जनसंख्या और शादी को लेकर अपनी बात रखी है। साथ ही जानिए, भागवत ने संघ और भाजपा के रिश्तों पर क्या कहा...
RSS chief Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने भारत में बढ़ते लिव इन रिलेशनशिप कल्चर कहा कि इसमें रहने वाले लोग अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते हैं। वह जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि परिवार, शादी, सिर्फ शारीरिक संतुष्टि का जरिया नहीं है। यह समाज की एक इकाई है। उन्होंने कहा कि परिवार इकाई संस्कृति, अर्थव्यवस्था का संगम है और कुछ मूल्यों को अपनाकर समाज को आकार देती है।
सरसंघचालक ने कहा कि परिवार वह जगह है। जहां एक व्यक्ति समाज में रहना सीखता है। लोगों के मूल्य परिवार से ही आते हैं। कोलकाता में उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों की निश्चित संख्या या शादी की उम्र तय करने का कोई फॉर्मूला नहीं है, लेकिन रिसर्च से पता चलता है कि तीन बच्चे आदर्श हो सकते हैं, और शादी 19 से 25 साल की उम्र के बीच की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि भारत ने अपने जनसंख्या को प्रभावी ढंग से मैनेज नहीं किया है। आबादी एक बोझ है, लेकिन यह एक संपत्ति भी है। हमें अपने देश के पर्यावरण, इंफ्रास्ट्रक्चर, सुविधाओं, महिलाओं की स्थिति, उनके स्वास्थ्य और देश की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए 50 साल के अनुमान के आधार पर एक पॉलिसी बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि डेमोग्राफर कहते हैं कि अगर जन्मदर 3.0 से कम हो जाती है तो इसका मतलब है कि देश की आबादी घट रही है। यह 2.1 से कम हो जाती है, तो यह खतरनाक है। अभी, हम सिर्फ बिहार की वजह से 2.1 पर हैं, नहीं तो, हमारी दर 1.9 है।
खास बात यह थी कि उनकी सभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और अंडमान निकोबार के लेफ्टिनेंट गवर्नर एडमिरल (रि.) डीके जोशी भी मौजूद थे। यहां उन्होंने भाजपा के साथ संघ के संबंध पर भी बात कही। संघ के स्वयंसेवक समाज के अलग-अलग क्षेत्रों में काम करते हैं। कुछ लोग राजनीति में हैं। कुछ सत्तारूढ़ दल से जुड़े हो सकते हैं, लेकिन संघ को किसी एक राजनीतिक दल से जोड़कर देखना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि कई लोगों में संघ को भाजपा की नज़र से समझने की प्रवृत्ति है, लेकिन यह एक बड़ी गलती है।
संघ का उद्देश्य हिंदू समाज को संगठित करना है, ना कि किसी दूसरे समुदाय का विरोध करना। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर कोई मानता है कि संघ मुस्लिम विरोधी है तो वह अपनी राय बना सकता है, लेकिन यदि यह उससे मेल नहीं खाएं तो राय बदलनी भी चाहिए।