Mission Samudrayaan:समुद्रयान मिशन के तहत भारत अगले महीने स्वदेशी रूप से विकसित मानव पनडुब्बी मत्स्य-6000 का गहरे समुद्र में टेस्ट करने के लिए तैयार है।
Samudrayaan Mission : चंद्रयान-3 और आदित्य एल-1 की सफलता के बाद भारत समुद्र में इतिहास रचने जा रहा है। समुद्र तल से करीब 6000 मीटर नीचे के राज खोलने के लिए मिशन समुद्रयान के तहत स्वदेशी पनडुब्बी मत्स्य-6000 का अक्टूबर में वेट टेस्ट (समुद्र में परीक्षण) किया जाएगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) और राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइओटी) ने पनडुब्बी के सफल एकीकरण की जानकारी दी। मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन ने बताया कि मत्स्य-6000 का अक्टूबर के अंतिम सप्ताह या नवंबर की शुरुआत में वेट टेस्ट किया जाएगा। इसके सभी घटकों को एकीकृत और ठीक कर दिया गया है। कुछ उपकरणों का इंजतार है। इसके बाद यह वेट टेस्ट के लिए पूरी तरह तैयार होगी।
समुद्रयान मिशन का उद्देश्य समुद्र की गहराई में दुर्लभ खनिजों के खनन के लिए पनडुब्बी से इंसानों को भेजना है। परियोजना की लागत करीब 4100 करोड़ रुपए है। इसमें समुद्र की गहराई में गैस हाइड्रेट्स, पॉलिमैटेलिक मैन्गनीज नॉड्यूल, हाइड्रो-थर्मल सल्फाइड और कोबाल्ट क्स्र्ट जैसे संसाधनों की खोज होगी। ये समुद्र में 1000 से 5500 मीटर तक की गहराई में मिलते हैं। पनडुब्बी जलवायु परिवर्तन से जुड़े समुद्र परिवर्तनों की निगरानी में भी सक्षम होगी।
वेट टेस्ट के दौरान पनडुब्बी को चेन्नई बंदरगाह पर समुद्र में करीब 15 मीटर की गहराई में उतारा जाएगा। इस दौरान वह सभी कार्य किए जाएंगे, जो मिशन में करने पड़ सकते हैं। पनडुब्बी की समुद्र में दबाव सहने की क्षमता, गति, जीवन समर्थक प्रणालियों की दक्षता और पानी के नीचे संचार क्षमताओं जैसे कार्यों का भी आकलन होगा। परीक्षण के परिणामों के आधार पर पनडुब्बी में सुधार किए जाएंगे। मिशन को 2026 में पूरा किया जाएगा।
समुद्रयान पूरी तरह स्वदेशी परियोजना है। इसके तहत बनाई गई मत्स्य-6000 पनडुब्बी में टाइटेनियम एलॉय का इस्तेमाल किया गया। इसका नाम भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार पर रखा गया।पनडुब्बी 6000 मीटर की गहराई पर समुद्र तल के दबाव से 600 गुना दबाव झेल सकती है। इसका व्यास 2.1 मीटर है। इससे तीन लोगों को समुद्री गहराई में 12 घंटे के लिए भेजा जाएगा। इसके अंदर 96 घंटे की इमरजेंसी इंड्यूरेंस है। अमरीका, रूस, जापान, फ्रांस और चीन के बाद भारत के पास यह तकनीक होगी।
1. उन्नत जीवन समर्थन प्रणाली
2. नेविगेशन उपकरण
3. नमूना संग्रह के लिए रोबोटिक भुजाएं
4. उच्च-रिजॉल्यूशन इमेजिंग सिस्टम