SIR इस साल का सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा साबित हुआ। हालांकि, विपक्ष को इसका खास फायदा बिहार चुनाव में नहीं मिला। अगले साल यानी 2026 के शुरुआत में पश्चिम बंगाल में चुनाव होना है। यहां भी SIR को लेकर जमकर हंगामा बरपा हुआ है। पढ़ें पूरी खबर...
Special Intensive Revision: स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR साल 2025 में सबसे बड़ा सियासी मुद्दा बनकर सामने उभरा। जून 2025 में भारतीय निर्वाचन आयोग ने वोटर लिस्ट में संशोधन के लिए SIR की प्रक्रिया शुरू की। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले SIR का पहला चरण शुरू किया गया। इसमें बिहार में BLOs (बूथ लेवल ऑफिसर्स) ने घर-घर जाकर वोटरों का सत्यापन किया। फाइनल वोटर रोल 30 सितंबर 2025 को प्रकाशित हुई। करीब 65 लाख नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए।
बिहार में SIR शुरू होते ही विपक्ष ने एकबार फिर वोट चोरी का मुद्दा जोर शोर से उठाया। राहुल गांधी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर अधिकार यात्रा पर निकले। RJD-कांग्रेस ने आरोप लगाया कि SIR से गरीब, दलित, मुस्लिम और प्रवासी वोटरों के नाम जानबूझकर हटाए जाएंगे, ताकि NDA को फायदा हो। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला। SIR के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक के बाद एक कई याचिकाएं दाखिल की गईं, लेकिन SIR पर बिहार में विपक्ष की चाल पूरी तरह से फेल रही।
दूसरी तरफ, बीजेपी ने इसे घुसपैठियों से जोड़ा। भाजपा ने बिहार चुनाव में यह दावा किया था कि एसआईआर की प्रक्रिया के सहारे विदेशी घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें मतदाता सूची से बाहर किया जाएगा। दरअसल, बिहार के सीमांचल इलाके में आने वाले 4 जिलों में अल्पसंख्यक आबादी ठीकठाक है। वह 12 से अधिक सीटों पर अपना प्रभाव रखती है। इसके साथ ही, बिहार का यह हिस्सा बांग्लादेश से भी सटा हुआ है।
15 अगस्त 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से घुसपैठियों पर निशाना साधा था। पीएम मोदी ने कहा कि सोची समझी साजिश के तहत डेमोग्राफी को बदला जा रहा है, ये घुसपैठिए मेरे नौजवानों की रोटी छीन रहे हैं। मेरी बहन-बेटियों को निशाना बना रहे हैं, ये बर्दाश्त नहीं होगा।
भारतीय निर्वाचन आयोग ने SIR के दूसरे चरण की घोषणा 27 अक्टूबर को की। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, उत्तर प्रदेश, गुजरात समेत 12 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशो में SIR को लेकर काम शुरू हुआ। SIR पर बिहार के बाद से सबसे अधिक हंगामा पश्चिम बंगाल में मच रहा है।
दरअसल, इसकी मुख्य वजह है कि पश्चिम बंगाल के कई जिले बांग्लादेश के साथ सीमा साझा करते हैं। यहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है। वहीं, सूबे में मुसलमानों की आबादी 34 फीसदी है। लिहाजा, भाजपा विदेशी घुसपैठिया विवाद को जमकर हवा दे रही है। राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी का आरोप है कि ममता बनर्जी की सरकार अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए विदेशी मुस्लिम घुसपैठियों को आधार कार्ड और पहचान पत्र बनवाकर उन्हें वोटर बनाती रही है। जिससे चुनावों में इसका लाभ उठाया जा सके।
SIR पर पश्चिम बंगाल में चुनावी रोटी सेंकी जा रही है। बीजेपी नेता अमित मालवीय ने बीते दिनों X पर लिखा था कि सीएम ममता बनर्जी ने भले ही रैलियों में दावा किया हो कि वह SIR प्रक्रिया में एन्यूमरेशन फॉर्म जमा नहीं करेंगी, लेकिन अंतिम दिन उन्होंने चुपचाप अपना फॉर्म भरकर जमा कर दिया।
वहीं, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी SIR पर खुलकर चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को निशाने पर ले रही हैं। ममता बनर्जी ने कृष्णानगर में एक रैली में कहा कि क्या आप SIR के नाम पर माताओं और बहनों के अधिकार छीन लेंगे? वे चुनाव के दौरान दिल्ली से पुलिस लाएंगे और माताओं एवं बहनों को डराएंगे। माताओं और बहनों, अगर आपके नाम काटे जाते हैं, तो आपके पास औजार हैं, है ना? वे औजार जिनका आप खाना बनाते समय उपयोग करती हैं। आप में ताकत है, है ना? अगर आपके नाम काटे गए तो आप इसे जाने नहीं देंगी, है ना? महिलाएं आगे लड़ेंगी और पुरुष उनके पीछे रहेंगे।
स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के दूसरे चरण में काम के दबाव में बीएलओ की मौत की खबर चर्चा में बनी हुई है। दूसरे चरण का एसआईआर शुरू होने के 22 दिनों में 7 राज्यों में 25 से अधिक बीएलओ की मौत हो चुकी है। इसके साथ ही बीएलओ पर काम का दबाव, धमकाने और डराने के मामले में भी सामने आए हैं।