सुप्रीम कोर्ट ने नगर निकायों और NHAI को 50 प्रमुख शहरों में फुटपाथ और पैदल यात्री क्रॉसिंग का ऑडिट करने का निर्देश दिया। इसमें बाजार, रेलवे स्टेशन, बस अड्डे और स्कूल जैसे भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी।
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ती मौतों पर चिंता जताते हुए पैदल यात्रियों की सुरक्षा, हेलमेट नियमों और खतरनाक ड्राइविंग प्रथाओं को नियंत्रित करने के लिए कई निर्देश जारी किए। न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने एक जनहित याचिका के जवाब में यह आदेश पारित किया, जिसमें सड़क दुर्घटनाओं के प्रति राज्यों के लापरवाह रवैये की आलोचना की गई थी।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार, 2023 में भारत में सड़क दुर्घटनाओं में 1,72,890 मौतें हुईं, जिनमें 35,221 पैदल यात्री शामिल थे, जो कुल मौतों का 20.4% है। यह 2016 के 10.44% की तुलना में काफी अधिक है। कोर्ट ने कहा कि फुटपाथों पर अतिक्रमण और दुरुपयोग पैदल यात्रियों को सड़कों पर चलने के लिए मजबूर करता है, जिससे जोखिम बढ़ता है।
सुप्रीम कोर्ट ने नगर निकायों और NHAI को 50 प्रमुख शहरों में फुटपाथ और पैदल यात्री क्रॉसिंग का ऑडिट करने का निर्देश दिया। इसमें बाजार, रेलवे स्टेशन, बस अड्डे और स्कूल जैसे भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी। ऑडिट में उन 15-20 स्थानों पर ध्यान देना होगा जहां हाल के वर्षों में पैदल यात्रियों की चोटें या मौतें हुई हैं। ज़ेबरा क्रॉसिंग, रोशनी और फुटओवर ब्रिज की सुरक्षा भी जांच का हिस्सा होगी।
कोर्ट ने दोपहिया वाहनों से होने वाली 70% मौतों पर चिंता जताई और हेलमेट नियमों को सख्ती से लागू करने के लिए ई-प्रवर्तन तंत्र, जैसे कैमरे का उपयोग करने का आदेश दिया। साथ ही गलत लेन ड्राइविंग और असुरक्षित ओवरटेकिंग को रोकने के लिए स्वचालित कैमरे, रंबल स्ट्रिप्स और टायर किलर जैसे उपाय लागू करने को कहा है।
निजी वाहनों में चमकदार एलईडी हेडलाइट्स और अवैध हूटर के दुरुपयोग को रोकने के लिए मंत्रालय और यातायात पुलिस को हेडलाइट की चमक और बीम कोण निर्धारित करने का निर्देश दिया गया। इसके साथ ही, जागरूकता अभियान चलाने का आदेश भी जारी किया गया।
कोर्ट ने फुटपाथ रखरखाव और पैदल यात्री क्रॉसिंग से संबंधित शिकायतों के लिए ऑनलाइन तंत्र स्थापित करने का आदेश दिया, जिसमें समयबद्ध समाधान और समीक्षा की व्यवस्था हो। सभी राज्यों को छह महीने में पैदल यात्री पहुंच और सड़क डिज़ाइन नियम बनाने के लिए कहा गया। इसकी प्रगति की निगरानी सात महीने बाद होगी।