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‘प्रशासन का ऐसा रवैया रहा तो दोषी जेल में मर जाएगा’, सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा ऐसा? जारी हुआ नया ऑर्डर

सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की जेलों में उन बंदियों को तत्काल रिहा करने के आदेश दिए हैं जो अपनी सजा पूरी कर चुके हैं। कोर्ट ने कहा कि सजा पूरी होने के बाद बंदियों को जेल में नहीं रखा जा सकता, यह उनके जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन होगा। यह आदेश सभी राज्यों पर लागू होगा

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Aug 13, 2025
सुप्रीम कोर्ट (फोटो- IANS)

सुप्रीम कोर्ट से मंगलवार को आम लोगों को राहत के दो अहम फैसले आए। पहला सजा पूरी होने के बावजूद जेलों में रोके गए बंदियों के लिए तो दूसरा दिल्ली एनसीआर में पुराने (ईओएल) वाहन मालिकों के लिए।

पहले आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने देश भर की जेलों से उन बंदियों को तत्काल रिहा करने के आदेश दिए जो अपनी सजा पूरी कर चुके हैं।

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कोर्ट ने कहा कि यदि दोषी किसी अन्य मामले में वांछित नहीं है तो उसे तत्काल रिहा किया जाना चाहिए। इसके लिए अलग से किसी आदेश की जरूरत नहीं है।

जस्टिस बीवी नागरत्नना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने बहुचर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड के दोषी की याचिका पर यह निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता सुखदेव पहलवान की 20 साल की सजा मार्च में ही पूरी हो गई थी और रिहा नहीं किए जाने पर उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। बेंच ने अनुच्छेद 21 के तहत सम्मानजनक जीवन जीने के अधिकार का हवाला दिया।

बेंच ने सजा पूरी होने के बाद भी दोषियों को जेल में रखे जाने पर कहा कि प्रशासन का ऐसा रवैया रहा तो दोषी जेल में मर जाएगा।

जमानत के बावजूद जेल में 25000 आरोपी

सजा पूरी होने के बावजूद जेल में रखने के मामले भले ही कम हों लेकिन जमानत के बावजूद रिहा नहीं किए जाने के हजारों मामले हैं।

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट की रिपोर्ट के अनुसार जेलों में करीब 25000 ऐसे मामले हैं। जिनमें जमानत के बावजूद कैदी को नहीं छोड़ा गया। इसका कारण जमानत शर्तें पूरी नहीं करना है।

राज्यों के गृह सचिवों को आदेश की प्रति भेजें

बेंच ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को निर्देश दिए कि आदेश की प्रति सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के गृह सचिवों को भेजी जाए ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या कोई आरोपी या दोषी सजा की अवधि से अधिक समय तक जेल में रहा है। बेंच ने आदेश की प्रति विधिक सेवा प्राधिकरणों तक भी आदेश की प्रति भेजने के निर्देश दिए।

एमपी में मामला नहीं

मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ जेल प्रशासन के मुताबिक प्रदेश की जेलों में ऐसा कोई बंदी नहीं है जिसे सजा पूरी होने के बावजूद नहीं छोड़ा गया हो जबकि राजस्थान में पड़ताल राजस्थान में इसकी जानकारी जुटाई जा रही है। छत्तीसगढ़ में 5 केंद्रीय कारागार सहित 33 जेल हैं। इनमें 14900 की तुलना में 20500 कैदी एवं बंदियों को रखा गया है।

जेल व सजा को फटकार

कोर्ट ने याचिकाकर्ता के मामले में जेल एवं समीक्षा बोर्ड को भी फटकार लगाई। बेंच ने कहा कि समीक्षा बोर्ड पूर्व में कोर्ट ने 29 जुलाई को ही सुखदेव यादव को रिहा करने का आदेश दिया था लेकिन बोर्ड आचरण का हवाला देते हुए रिहाई को टाल दिया था।

बेंच ने सवाल किया कि यह कैसा बर्ताव को फटकार है। दिल्ली सरकार की अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने अपने आप रिहाई का विरोध किया।

Updated on:
13 Aug 2025 07:40 am
Published on:
13 Aug 2025 07:11 am
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