सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में पूर्व सीएम की प्रतिमा लगाने के लिए सरकारी पैसे के इस्तेमाल की इजाजत मांगी थी। जानिए SC ने स्टालिन सरकार को फटकार लगाते हुए क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने तमिलनाडु सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि (M. Karunanidhi) की प्रतिमा तिरुनेलवेली जिले में स्थापित करने की अनुमति मांगी गई थी। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि सार्वजनिक धन का उपयोग पूर्व नेताओं की महिमा के लिए नहीं किया जा सकता।
तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वकील पी. विल्सन ने कोर्ट में दलील दी कि मेहराब के निर्माण की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि इस पर पहले ही 30 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं और इसे चुनौती नहीं दी गई है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया।
मद्रास हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सरकार सार्वजनिक स्थानों पर मूर्तियां स्थापित करने की अनुमति नहीं दे सकती। हाईकोर्ट ने जोर देकर कहा कि 'लीडर्स पार्क' जैसे प्रोजेक्ट देश के युवाओं के लिए अधिक फायदेमंद हो सकते हैं। कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि भारी यातायात, भीड़भाड़ और अन्य कारणों से मूर्तियां स्थापित करने की अनुमति देने से आम जनता को असुविधा होती है। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया, जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर मूर्तियां स्थापित करने पर रोक लगाई गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि राज्य सरकार ऐसी अनुमति देने का आदेश जारी नहीं कर सकती। कोर्ट ने सरकार से सवाल किया कि वह सार्वजनिक धन का उपयोग पूर्व नेताओं की प्रतिमाओं के लिए क्यों कर रही है। इस फैसले के साथ ही तमिलनाडु सरकार को करुणानिधि की प्रतिमा स्थापित करने की अनुमति नहीं मिली।