PM-CM हटाने वाले बिल पर TMC सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि हम जेपीसी में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने जेपीसी को लेकर भी बड़ी बात कह दी है।
तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने स्पष्ट कर दिया है कि वह प्रधानमंत्री (Prime Minister), मुख्यमंत्रियों (Chief Minister) और मंत्रियों (Ministers) को 30 दिन की गिरफ्तारी के बाद हटाने के लिए तीन विधेयकों की समीक्षा के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में हिस्सा नहीं लेगी। TMC ने इसे तमाशा करार दिया है। तृणमूल ने कहा कि हमारी तरफ से कोई सदस्य नामित नहीं किया जाएगा। समाजवादी पार्टी भी JPC में शामिल नहीं होगी।
तृणमूल के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि टीएमसी और सपा ने जेपीसी में नहीं शामिल होने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि जेपीसी में सत्तारूढ़ पार्टी का बहुमत होता है। इससे ये समिति पक्षातपूर्ण हो जाती है। ओ ब्रायन ने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा के अध्यक्ष मिलकर जेपीसी के अध्यक्ष का चयन करते हैं, और सदस्यों का नामांकन पार्टी की संख्या के आधार पर होता है. इससे समिति का झुकाव सत्तारूढ़ पार्टी के पक्ष में हो जाता है। संसदीय समितियों में अब हेरफेर की जा रही है। यह सब 2014 के बाद शुरू हुआ।
मानसून सत्र के आखिरी दिन इन विधेयकों के पेश होने पर सदन में जमकर हंगामा हुआ था। तृणमूल के सांसदों ने गृह मंत्री अमित शाह के सामने विधेयकों की प्रतियां फाड़ दीं और कागज के टुकड़े उनकी ओर उड़ाए थे। बता दें कि तीनों विधेयक को अब लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सांसदों वाली जेपीसी को सौंपा गया है। जो शीतकालीन सत्र में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।
मोदी सरकार गंभीर आपराधिक केस में गिरफ्तार होने या हिरासत में लिए जाने पर प्रधानमंत्री (Prime Minister), मुख्यमंत्री (Chief Minister) और मंत्रियों (Ministers) को पद से हटाने को लेकर कानून बनाने जा रही है। इसके तहत अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री में से किसी को भी गंभीर अपराधों के लिए गिरफ्तार किया जाता है। जिनमें उन्हें 5 साल की सजा हो सकती है और 30 दिनों तक न्यायिक हिरासत या पुलिस हिरासत में रखा जा सकता है तो उन्हें 31वें दिन पद से हटा दिया जाएगा।
मोदी सरकार का कहना है कि केंद्र शासित प्रदेशों में गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 (1963 का 20) और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 (2019 का 34) के तहत मुख्यमंत्री और मंत्रियों को पद से हटाए जाने का प्रावधान नहीं है। इसलिए, ऐसे मामलों में मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए संशोधन की आवश्यकता है। जिसके कारण 5 साल या उससे अधिक सजा वाले मामले में 30 दिन तक गिरफ्तारी के बाद 31वें दिन पद पर आसीन लोगों को हटाया जा सकता है।