
प्रियंका गांधी ने नए बिलों का किया विरोध (Photo:IANS)
केंद्र सरकार गंभीर आपराधिक केस में गिरफ्तार होने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को हटाने के लिए कानून लाने जा रही है। आज केंद्रीय गृहमंत्री सदन में तीन नए बिल गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025, 130वां संविधान संशोधन बिल 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025 पेश करेंगे। इन पर सियासत भी गरमा गई है। मुख्य विपक्षी दल को इन नए बिल में साजिश की बू आ रही है। केरल की वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी ने सरकार को जमकर घेरा है।
प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने कहा कि कल को आप किसी भी मुख्यमंत्री पर कोई भी मामला लगा सकते हैं। उसे दोषी सिद्ध किए बिना ही 30 दिनों के लिए गिरफ्तार कर सकते हैं। इसके बाद वे मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से संविधान-विरोधी, अलोकतांत्रिक और बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
सरकार द्वारा लाए जा रहे नए बिल पर आजाद समाज पार्टी के प्रमुख व यूपी के नगीना से सांसद चंद्रशेखर ने कहा कि सरकार के बिलों में जनता का हित कम और अपने विरोधियों को नुकसान पहुंचाने की मंशा ज्यादा दिखाई देती है। मैं स्पीकर साहब से मांग करूंगा कि हमें JPC का हिस्सा बनाया जाए।
बिल के समर्थन में वरिष्ठ अधिवक्ता और भाजपा के राज्यसभा सांसद मनन मिश्रा ने कहा कि डायवर्ट करने का कोई प्रयास नहीं है। विपक्ष के लोग जनता का ध्यान डायवर्ट करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार एक महत्वपूर्ण बिल लाने जा रही है। जिसमें जो लोग अगर 30 दिन से ज्यादा जेल में रह रहे हैं तो वो मंत्री पद पर नहीं रहेंगे। इससे ज्यादा महत्वपूर्ण तो कोई काम नहीं हो सकता लेकिन विपक्ष को संसद में बाधा डालनी है। जो सभी महत्वपूर्ण बिल थे, वो हम पास कर रहे हैं और आगे भी करेंगे।
सरकार द्वारा लाए जा रहे तीन नए बिल का AIMIM प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सख्त विरोध किया है। उन्होंने कहा कि हम इन बिलों का विरोध करेंगे। यह संविधान के खिलाफ है। भाजपा हर चीज अपने हाथों में ले रही है। भाजपा यह भूल रही है कि वे हमेशा सत्ता में नहीं रहेगी।
मोदी सरकार का कहना है कि केंद्र शासित प्रदेशों में गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 (1963 का 20) और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 (2019 का 34) के तहत मुख्यमंत्री और मंत्रियों को पद से हटाए जाने का प्रावधान नहीं है। इसलिए, ऐसे मामलों में मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए संशोधन की आवश्यकता है। जिसके कारण 5 साल या उससे अधिक सजा वाले मामले में 30 दिन तक गिरफ्तारी के बाद 31वें दिन पद पर आसीन लोगों को हटाया जा सकता है।
देश के कई राज्यों में विपक्ष की सरकार है। मसलन, तमिलनाडु में डीएमके, पश्चिम बंगाल में तृणमूल, केरल में लेफ्ट गठबंधन, कर्नाटक में कांग्रेस, पंजाब में आप, झारखंड झामुमो गठबंध और तेलंगाना कांग्रेस की सरकार है। इन सरकारों में कई ऐसे मंत्री जो गंभीर मामलों में अदालत का चक्कर काट रहे हैं।
कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार पर मनी लॉन्ड्रिंग समेत कई मामले चल रहे हैं। यदि वह गिरफ्तार हो जाते हैं तो उन्हें गिरफ्तारी के बाद 31 वें दिन दोषिसिद्धि के बिना ही पद से हटाया जा सकता है। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार में कई ऐसे मंत्री हैं, जो फिलहाल ईडी की जांच की रडार में है।
झारझंड सीएम हेमंत सोरेन पद का लाभ के मामले में बीते साल जेल जा चुके हैं। हालांकि, उन्होंने स्वत: सीएम पद से इस्तीफा दिया था, लेकिन यदि कानून का यह प्रावधान रहता तो पहले ही उनकी कुर्सी जा सकती थी। इसी तरह दिल्ली के पूर्व CM केजरीवाल 6 महीने तक जेल में थे। उन्होंने इस दौरान इस्तीफा नहीं दिया था। इसी तरह तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी ने 241 दिनों तक हिरासत और जेल में रहने के बाद अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया था। केजरीवाल तो पद पर रहते गिरफ्तार होने वाले पहले CM थे।
Updated on:
20 Aug 2025 02:08 pm
Published on:
20 Aug 2025 01:56 pm
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