Kolkata Rape Murder Case में प्रदर्शन जारी है। जूनियर डॉक्टर्स ने सुरक्षा के साथ-साथ 10 मांगो का दबाव बनाया।
पश्चिम बंगाल में महिला डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार का विरोध जारी है। अब प्रदर्शन जारी रखते हुए आरजी कर मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों ने मंगलवार को पूरी तरह से 'काम बंद' कर दिया है। जूनियर डॉक्टर ने की ममता बनर्जी सरकार से सभी चिकित्सा प्रतिष्ठानों में महिलाओं की सुरक्षा के साथ और भी मांगे पूरी करने का दबाव बनाया। लम्बे समय तक चल रही बैठक के बाद यह फैसला लिया गया। उन्होंने अस्पताल की सुरक्षा को मजबूत करने, स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में सुधार और अस्पतालों में खतरे की संस्कृति और राजनीति को खत्म करने से संबंधित 10 मांगों को रखा है।
एक बयान में, पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट ने कहा, "हम आज से शुरू होने वाले पूर्ण विराम पर लौटने के लिए मजबूर हैं। जब तक हमें सुरक्षा, रोगी सेवाओं और भय की राजनीति पर सरकार से स्पष्ट कार्रवाई नहीं मिलती, हम ऐसा करेंगे।" हमारी पूर्ण हड़ताल जारी रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।" साथ है की "हमें एहसास हुआ कि सीबीआई की जांच कितनी धीमी है। हमने पहले भी कई बार देखा है कि सीबीआई किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाती है, जिससे ऐसी घटनाओं के असली दोषियों को आरोप दायर करने में देरी के कारण छूट मिल जाती है।" डॉक्टरों का मोर्चा जोड़ा गया।
डॉक्टरों ने आगे कहा, "सर्वोच्च न्यायालय, जिसने इस जघन्य घटना की सुनवाई में तेजी लाने की पहल की थी, ने इसके बजाय केवल सुनवाई स्थगित कर दी और कार्यवाही की वास्तविक लंबाई कम कर दी। हम इस लंबी न्यायिक प्रक्रिया से निराश और क्रोधित हैं।"
जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य टास्क फोर्स के साथ बैठक बुलाने की उनकी मांग का जवाब नहीं दिया है। डॉक्टर्स ने बताया की उन्होंने पांच मांगों के संबंध में मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के साथ चर्चा की है। हमने 26 और 29 जुलाई को अपनी मांगों को दोहराया, मुख्य सचिव से सरकार के लिखित निर्देशों को जल्दी से लागू करने का आग्रह किया। उन ईमेल में, हमने मुख्य से भी अनुरोध किया सचिव को एक राज्य टास्क फोर्स के साथ एक बैठक बुलानी होगी जो जूनियर डॉक्टरों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व करती है, दुर्भाग्य से, डॉक्टरों ने कहा राज्य सरकार न केवल ऐसी बैठक बुलाने में विफल रही है, बल्कि हमारे पत्रों का जवाब भी नहीं दिया है,''।
डॉक्टर एसोसिएशन ने बताया की "उन्होंने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के साथ अपनी बैठक में और ईमेल में भी स्पष्ट रूप से बताया कि हम डर के इस माहौल में सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं। अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों की निर्णय लेने वाली समितियों में जूनियर डॉक्टरों के लिए उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किए बिना। इन घोषित नेताओं द्वारा उत्पीड़न जारी रहेगा।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही फोटोज को लेकर SC ने संज्ञान लिया है। महिला डॉक्टर के माता-पिता ने सुप्रीम कोर्ट और CBI पर भरोसा जताते हुए बोलै कि हमें उम्मीद है कि न्याय मिलेगा।