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क्या है रोहित वेमुला बिल? कांग्रेस ने कर्नाटक से लेकर हिमाचल तक बढ़ाई सियासी सरगर्मी, डिटेल में पढ़ें सबकुछ

कर्नाटक सरकार मॉनसून सत्र में रोहित वेमुला बिल पेश करेगी, जिसका उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों में जातिगत भेदभाव रोकना है। राहुल गांधी ने तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश में भी इसे लागू करने की अपील की है। बिल में एक साल की जेल और 10,000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है

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Jul 23, 2025
क्या है रोहित वेमुला बिल? (फोटो- पत्रिका)

कर्नाटक में कांग्रेस सरकार 'मॉनसून सत्र' के दौरान विधानसभा में रोहित वेमुला बिल पेश करने वाली है। उधर, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस शासित प्रदेश तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश में भी इस विधेयक को लागू करने की अपील की है। इस बीच, रोहित वेमुला बिल को लेकर सियासत तेज हो गई है।

कर्नाटक सरकार ने इस विधेयक का नाम 'रोहित वेमुला (प्रिवेंशन ऑफ एक्सूजन ऑर इनजस्टिस) (राइटर टू एजुकेशन एंड डिग्निटी) बिल 2025' रखा है। इस बिल को लाने का मुख्य मकसद उच्च शिक्षण संस्थानों में जाति-आधारित भेदभाव को खत्म करना है।

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह विधेयक अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और अल्पसंख्यकों के बारे में समान शिक्षा और उनके अधिकारों की बात करता है। सार्वजनिक, निजी और डीम्ड विश्वविद्यालयों में भेदभाव को रोकने के लिए यह बिल लाया जा रहा है।

कानून के उल्लंघन पर क्या होगी सजा?

विधेयक लागू होने के बाद कानून के उल्लंघन पर कड़ी सजा का प्रावधान है। इसमें भेदभाव करने या उसे बढ़ावा देने वाले व्यक्तियों को कठोर दंड मिलेगा।

पहली बार अपराध करने पर एक वर्ष की कैद और 10,000 रुपये का जुर्माना होगा। इसके साथ ही पीड़ित को 1 लाख रुपये तक का मुआवजा भी देना पड़ सकता है।

दोबारा अपराध करने पर तीन साल की कैद और 1 लाख रुपये का जुर्माना होगा। इसके अलावा, जो संस्थान जाति और लिंग के आधार पर छात्रों के साथ भेदभाव करेंगे, उन्हें भी इसी प्रकार के दंड का सामना करना पड़ेगा। साथ ही, सरकारी अनुदान या वित्तीय सहायता का लाभ भी नहीं मिलेगा।

कौन हैं रोहित वेमुला?

रोहित वेमुला हैदराबाद विश्वविद्यालय में पीएचडी के छात्र थे। उन्होंने जनवरी 2016 में आत्महत्या कर ली थी। अपने सुसाइड नोट में उन्होंने विश्वविद्यालय में जाति आधारित भेदभाव का आरोप लगाया था।

उनकी मृत्यु के बाद देश भर में बवाल मच गया था। भारतीय विश्वविद्यालयों में दलित छात्रों के साथ भेदभाव की एक बहस छिड़ गई थी। जगह-जगह इस मुद्दे को लेकर प्रदर्शन हुए थे।

इस साल अप्रैल में, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर राज्य सरकार से शैक्षणिक संस्थानों में जातिगत भेदभाव से निपटने के लिए रोहित के नाम पर कानून बनाने का आग्रह किया था। यह प्रस्ताव कर्नाटक विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के घोषणापत्र में भी शामिल था।

कांग्रेस और भाजपा में तकरार!

अब जैसे-जैसे कर्नाटक में विधेयक लाने की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है, वैसे ही उधर पड़ोसी राज्य तेलंगाना में राजनीतिक तनाव भी बढ़ रहा है।

भारतीय जनता पार्टी के तेलंगाना अध्यक्ष एन रामचंदर राव ने प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क को एक कानूनी नोटिस भेजा है। दरअसल, मल्लू ने वेमुला की आत्महत्या के लिए राव को जिम्मेदार ठहराया था।

अब राव ने तीन दिनों के भीतर बिना शर्त माफी मांगने की मांग की है। इसके साथ, मांफी नहीं मांगने पर आपराधिक कार्यवाही और 25 लाख रुपये के मानहानि के मुकदमे की धमकी दी है।

नोटिस में कहा गया है कि तेलंगाना पुलिस को वेमुला की आत्महत्या के मामले में राव की संलिप्तता का कोई सबूत नहीं मिला है, जबकि पिछले साल दायर एक क्लोजर रिपोर्ट में उन्हें और अन्य को बरी कर दिया गया था।

राव को बनाया गया था प्रदेश अध्यक्ष

1 जुलाई को राव को तेलंगाना भाजपा प्रमुख बनाया गया था। जिसको लेकर कांग्रेस ने खूब आलोचना की थी। इस कदम को दलितों और आदिवासियों के खिलाफ काम करने वालों के लिए इनाम बताया था।

इसके बाद, 11 जुलाई को उपमुख्यमंत्री विक्रमार्क ने 2016 की घटना को याद करते हुए राव पर गंभीर आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि राव ने अंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन के दलित छात्रों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए प्रशासन पर दबाव बनाया था।

हालांकि, भारतीय जनता पार्टी राव का बचाव कर रही है। इस मामले में तेलंगाना पुलिस की क्लीन चिट का हवाला देते हुए कांग्रेस नेताओं पर झूठे और दुर्भावनापूर्ण आरोप लगा रही है।

Published on:
23 Jul 2025 12:15 pm
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