डिजिटल भुगतान प्रणाली, विशेषकर यूपीआई, ने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की तकनीकी क्षमता का भरोसा बढ़ाया। छोटे दुकानदार से लेकर बड़े उद्योग तक, डिजिटल लेनदेन भारत की आर्थिक रीढ़ बनता गया।
दिसंबर की एक ठंडी शाम थी। समय के गलियारों में खड़े दो वर्ष 2025 और 2026, एक-दूसरे से मिलने आए। 2025 ने गर्मजोशी के साथ अपने दोस्त 2026 को चाय के साथ कुछ उपलब्धियाँ, कुछ सपने और कुछ अधूरे काम पेश किये। 2025 ने 2026 की ओर हाथ बढ़ाया और मुस्कुराकर कहा, “मैं तुझ पर कुछ बोझ नहीं, बल्कि इस देश के 140 करोड़ लोगों की उम्मीदें देकर इतिहास के पन्नों में अंकित होने जा रहा हूँ।“
2026 ने उत्सुकता से कहा - “अच्छा।“
सबसे पहले, मैं तुम्हें भारत की मजबूत होती अर्थव्यवस्था सौंप रहा हूँ। 2025 में भारत ने वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद स्थिर विकास दर, मजबूत घरेलू बाजार और बढ़ते निवेश के जरिए दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं में अपनी स्थिति और सुदृढ़ की।
डिजिटल भुगतान प्रणाली, विशेषकर यूपीआई, ने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की तकनीकी क्षमता का भरोसा बढ़ाया। छोटे दुकानदार से लेकर बड़े उद्योग तक, डिजिटल लेनदेन भारत की आर्थिक रीढ़ बनता गया।
2025 आगे बोला, यह भी साथ ले लो - इन्फ्रास्ट्रक्चर में आया आत्मविश्वास।” साल 2025 में भारत ने एक्सप्रेसवे, रेलवे आधुनिकीकरण, नए एयरपोर्ट और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क के विस्तार के जरिए विकास को जमीन पर उतारने का काम किया। यह केवल निर्माण नहीं था, बल्कि रोजगार, क्षेत्रीय संतुलन और भविष्य की तैयारी थी।
फिर 2025 ने गर्व से कहा, “खेलों में भारत का फुरतीलापन भी मैं तुम्हें सौंप रहा हूँ।” 2025 भारतीय खेलों के लिए निरंतरता और तैयारी का वर्ष रहा। अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में बेहतर प्रदर्शन, जमीनी स्तर पर खेल ढांचे का विस्तार और खिलाड़ियों को मिलती वैज्ञानिक ट्रेनिंग ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अब केवल भागीदार नहीं, बल्कि प्रतिस्पर्धी राष्ट्र है।
2026 ने बीच में पूछा - “और आत्मनिर्भरता?”
2025 मुस्कुराया - “वह तो मेरी सबसे मजबूत विरासत है।”
2025 में मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और स्किल इंडिया केवल योजनाएँ नहीं रहीं, बल्कि जमीनी परिणाम देने लगीं। डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम, ड्रोन तकनीक और एमएसएमई सेक्टर में भारत ने आत्मनिर्भरता की दिशा में ठोस कदम बढ़ाए।
कुछ क्षण रुककर 2025 ने कहा, “लेकिन सबसे महत्वपूर्ण चीज़ जो मैं तुम्हें सौंप रहा हूँ, वह है - भारत का युवा।” 2025 में भारत के युवाओं ने स्टार्टअप्स, टेक्नोलॉजी, खेल, रिसर्च और सामाजिक नवाचार के माध्यम से यह सिद्ध किया कि यह देश केवल अपनी विरासत पर नहीं, बल्कि भविष्य की सोच पर भी गर्व करता है। युवाओं का आत्मविश्वास, उनकी वैश्विक भागीदारी और देश के प्रति जिम्मेदारी - यही भारत की असली ताकत बनी।
2026 ने 2025 का हाथ थामते हुए कहा, “धन्यवाद। मैं तुम्हारी दी हुई उपलब्धियों को बोझ नहीं बनने दूँगा। मैं इन्हें एक नए भारत की सुबह में बदलूँगा। जहाँ विकास समावेशी होगा, तकनीक मानवीय होगी और संस्कृति आधुनिकता के साथ आगे बढ़ेगी।”
2025 पीछे हटते हुए बोला, "बस एक बात याद रखना - भारत किसी कैलेंडर की तारीखों से नहीं चलता। भारत चलता है अपने संकल्प, अपनी सभ्यता और अपने लोगों की शक्ति से।"
2026 ने आसमान की ओर देखा और कहा, “मैं 2025 से मिली इस विरासत को और आगे ले जाऊँगा। क्योंकि भारत रुकेगा नहीं। भारत बढ़ेगा और दुनिया को भी साथ लेकर बढ़ेगा।”
इसी विश्वास के साथ 2025 ने 2026 से हाथ मिलाया और एक आत्मविश्वासी, जागरूक और भविष्य की ओर बढ़ते भारत को सौंपकर इतिहास में विलीन हो गया।