Bihar's Mushroom Lady: बिहार के तिलकारी गांव की एक गरीब महिला ने अपनी जीवटता और आत्मबल के भरोसे ऐसा काम कर दिया जिसके चलते उसकी पहचान आज मशरूम लेडी के रूप में होने लगी। आइए यहां पढ़ते हैं उनके संघर्ष और उत्थान की कहानी...
Mushroom Lady of Bihar: बिहार में मुंगेर जिले का तिलकारी गांव शक्ति के सामथर्य का जीवंत उदाहरण है। आज मशरूम लेडी के नाम से अपनी पहचान बनाने वाली बीना देवी के पास न खेती की जमीन थी और न ही कोई नियमित आय का जरिया। लेकिन उन्होंने अपनी अदम्य इच्छाशक्ति के बलबूते ऐसा कारनामा कर दिखाया कि आज करीब 70 हजार महिलाएं अपने परिवार के लिए लाइफलाइन बन चुकी हैं।
इस मजबूत शख्स का नाम बीना देवी है। उनकी हालत ऐसी थी कि खुद के साथ चार बच्चों की परवरिश उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती थी। हां दृढ़ इच्छाशक्ति जरूर थी। मुश्किल हालात के बीच उम्मीद और इरादों के बल पर बीना देवी ने मशरूम की खेती की छोटी सी शुरुआत की, जिसने न केवल बीना का जीवन बदला, बल्कि महिला सशक्तीकरण का आंदोलन बन गया। आज करीब 100 गांवों की 70 हजार से ज्यादा महिलाएं उनकी राह पर चलकर परिवार की जरूरतें पूरी कर पा रही हैं।
खुद बीना के बच्चे, जो पैसे के अभाव में पढ़ाई नहीं कर पा रहे थे, अब अच्छी शिक्षा ले रहे हैं। बड़ा बेटा इंजीनियरिंग कर रहा है। महिला सशक्तीकरण के उनके अभियान को पीएम नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात में सराहा। 2020 में महिला दिवस पर तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें सम्मानित किया।
संघर्ष के दिनों में तपकर बीना के हौसले भी फौलादी हो गए। कई बार ऐसा भी हुआ, जब दूसरे वक्त के खाने का भी बंदोबस्त नहीं होता था। बीना ने हिम्मत नहीं हारी और बाजार से एक किलोग्राम मशरूम के बीच मंगवाए। खेत नहीं थे, इसलिए घर में बिस्तर के नीचे छोटी जगह में उगाना शुरू किया। हालांकि शुरुआत में कामयाबी नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने भागलपुर में बिहार कृषि विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण लिया। इसके बाद उन्होंने नई तकनीक से मशरूम उगाई तो उत्पादन बढऩे लगा। शुरुआत में 200 से 300 रुपए प्रति किलो कमाने वाली बीना देवी अब लाखों कमा रही हैं।
बीना देवी चाहती थी कि उनकी तरह और ग्रामीण महिलाएं भी कामयाब हों। इसलिए उन्होंने इसे महिलाओं को सशक्त करने का मिशन बना लिया। आज 100 से ज्यादा गांवों में महिलाएं मशरूम की खेती कर रही हैं। बीना कहती हैं, जब महिलाएं आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो जाएंगी तो उनका आत्म सम्मान भी बढ़ेगा और समाज में उनकी स्थिति बेहतर होगी।