केरल की महिलाओं ने बाइक से 4 हजार किलोमीटर का सफर तय किया। ‘वुमन ऑन व्हील्स’ के तहत हुए सफर में सबसे उम्रदराज बाइक राइडर 77 साल की सुभद्रा प्रभाकरण कहती हैं, 'जिंदगी को सच में महसूस करना है, तो अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलना जरूरी है।
नेपाल की कीचड़ भरी पगडंडियां, सिक्किम में बर्फबारी, ओडिशा में हादसा, हर मोड़ पर एक नई परीक्षा थी। कभी भूस्खलन में सड़कें गायब हो गईं तो कभी रास्ते में अनिश्चित मौसम से लेकर लैंगिक भेदभाव तक झेलना पड़ा लेकिन पांच महिला बाइकर के हौसले इतने मजबूत थे कि केरल के कोझिकोड से शुरू होकर सिलीगुड़ी, सिक्किम, नेपाल, भूटान और ओडिशा से गुजरी उनकी 14 दिन की बाइक राइड सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि साहस और आत्मविश्वास की कहानी बन गई। कोझिकोड स्थित कम्युनिटी राइडर्स फेडरेशन की पहल ‘वुमन ऑन व्हील्स’ के तहत हुए सफर में सबसे उम्रदराज बाइक राइडर 77 साल की सुभद्रा प्रभाकरण कहती हैं, 'जिंदगी को सच में महसूस करना है, तो अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलना जरूरी है।'
28 सितंबर को सीमा वॉरियर ने कोझिकोड में अपनी बाइक स्टार्ट की और बेंगलूरु के लिए रवाना हुईं, जहां अनिता कर्श्यप और स्वप्ना कुमारी कनिटी उनसे जुड़ीं। वहां से तीनों ने उत्तर की ओर रुख किया। सेशारानी नागराज बेंगलूरु से सिलीगुड़ी विमान से पहुंचीं और अपनी बाइक ट्रेन से मंगवाई। उनके साथ थीं हैदराबाद निवासी 77 वर्षीय सुभद्रा प्रभाकरण। सुभद्रा पिलियन राइडर के रूप में शामिल हुई, यानी पिछली सीट पर बैठकर सफर किया। सभी ने 5 अक्टूबर को सिलिगुड़ी से अपनी जिंदगी की सबसे लंबी और सबसे कठिन राइड की शुरुआत की और उसे सफलतापूर्वक पूरा किया।
सुबह 4 बजे उठना, 5 बजे सड़क पर उतरना, हर 100 किमी पर ब्रेक लेना और सूर्यास्त से पहले सफर खत्म करना, यही रोजमर्रा का नियम था। थकान, चोट और डर के बावजूद हर चुनौती समय के साथ अब एक मीठी याद बन गई है। रूढ़ियों से टकराईं, नई पहचान गढ़ी, कभी होटल ने सिर्फ इसलिए कमरा देने से मना कर दिया क्योंकि वे महिलाएं थीं, तो कभी उम्र और जिम्मेदारियों को लेकर सवाल उठे। लेकिन परिवारों का साथ, आपसी भरोसा और ‘वुमन ऑन व्हील्स’ जैसे मंच ने हौसला बनाए रखा।
सड़क पर रचा इतिहास
अनिता कर्श्यप (33 वर्ष)
सीमा वॉरियर (53 वर्ष)
सुभद्रा प्रभाकरण (77 वर्ष)
सेशारानी नागराज (31 वर्ष)
स्वप्ना कुमारी कनिटी (43 वर्ष)