Bholenath Shahi Sawari : धूमधाम से नगर भ्रमण पर निकली शाही सवारी। राजसी रथ में विराजे किलेश्वर महादेव। जगह-जगह हुआ भोलेनाथ का भव्य स्वागत। गगनभेदी जयकारों से गूंज उठा शहर।
Bholenath Shahi Sawari :मध्य प्रदेश के नीमच में सावन मास के अंतिम सोमवार को श्री किलेश्वर महादेव मंदिर से भगवान भोलेनाथ शाही सवारी के साथ नगर भ्रमण पर निकले। इस दौरान शहर भोलेबाबा की भक्ति में डूब गया। मार्ग में जगह जगह शाही सवारी को भव्यता के साथ स्वागत किया गया।
महाकाल के नाम से वियात श्री किलेश्वर महादेव मंदिर से सोमवार शाम भगवान भोलेनाथ की भव्य शाही सवारी गगनभेदी जयकारों के बीच नगर भ्रमण पर निकली। राजसी रथ में विराजे भगवान शिव का नगर भ्रमण शहरवासियों के लिए आस्था, भक्ति और उत्साह का अद्भुत संगम बन गया। शाही सवारी शाम 5 बजे श्री किलेश्वर महादेव मंदिर परिसर से प्रारंभ हुई।
इससे पहले मंदिर में भोलेनाथ का विशेष पूजन और महाआरती का आयोजन किया गया। पूजन युवा समाजसेवी अरुल अरोरा और अशोक अरोरा गंगानगर द्वारा श्रद्धापूर्वक किया गया। समिति के साथ शाही सवारी का विधिवत शुभारंभ किया। राजसी रथ में शृंगारित रूप में विराजे भगवान भोलेनाथ के साथ विशाल नंदी की झांकी, झांस डमरू पार्टी, राधा-कृष्ण, बाहुबली हनुमान, अघोरी बाबा, नरमुंड शृंगार, आदिवासी लोक नृत्य मंडली, विद्युत सज्जित झांकियां और रंग-बिरंगी आतिशबाजी शाही सवारी में विशेष आकर्षण का केंद रहा। ढोल-नगाड़ों और डमरुओं की गूंज के बीच भोलेनाथ की जयकारों से शहर के गली-मोहल्ले गुंजायमान हो उठे।
सवारी जैसे-जैसे मार्गों पर बढ़ी, जगह-जगह श्रद्धालुओं और विभिन्न समाजसेवी संगठनों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। मार्ग में द्वार सजाकर, आरती उतारकर भव्य स्वागत किया गया। इसमें हर वर्ग और समुदाय ने भागीदारी निभाते हुए अपनी श्रद्धा व्यक्त की। महिलाओं, युवाओं और बच्चों में खासा उत्साह देखने को मिला। शाही सवारी किलेश्वर महादेव मंदिर परिसर से प्रारंभ होकर रेलवे स्टेशन, चौकन्ना बालाजी, अग्रसेन वाटिका, तिलक मार्ग, बारादरी फव्वारा चौक, कमल चौक, टैगोर मार्ग होते हुए सीआरपीएफ रोड से वापस मंदिर परिसर लौटी। इस दौरान पूरा मार्ग भक्ति और उल्लास से सराबोर रहा।
पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुता इंतजाम किए गए थे। यातायात नियंत्रण, मार्ग व्यवस्था और भीड़ नियंत्रण के लिए पुलिस बल मुस्तैद रहा। इससे आयोजन शांतिपूर्ण और सुव्यवस्थित तरीके से संपन्न हुआ। सावन मास के अंतिम सोमवार, भगवान शंकर की दिव्य सवारी के रूप में शहरवासियों के लिए एक अविस्मरणीय अध्यात्मिक अनुभव लेकर आई। श्रद्धालुओं का कहना था कि इस वर्ष की सवारी पहले से भी अधिक भव्य, सुनियोजित और भक्ति से परिपूर्ण रही।