MP News: नीमच जिले के छोटे से गांव तारापुर की नांदना प्रिंट साड़ियां दुनियाभर में छा रही हैं। बारीक डिज़ाइन और इको-फ्रेंडली रंगाई इन्हें विदेशी महिलाओं की पहली पसंद बना रही है।
MP News: नीमच जिले के छोटे से गांव तारापुर में 400 साल पुरानी परंपरा अब भी कायम है। आदिवासी महिलाएं कभी नांदना प्रिंट से अपने लहंगे बनाया करती थीं। ट्रेंड बदलने के साथ साड़ी और सूट में नांदना प्रिंट (Nandana Print) का उपयोग होने लगा। यह प्रिंट 'इको फ्रेंडली' होने से देश-विदेश में इसकी काफी मांग है। इंफोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष सुधा मूर्ति (Sudha Murthy), कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी (Sonia Gandhi), फिल्म अभिनेत्री रवीना टंडन (Raveena Tondon) आदि यात शसियत भी नांदना प्रिंट से बनीं साड़ियां पहन चुकी हैं।
जावद तहसील के गांव तारापुर में जरिया परिवार की पांचवीं पीढ़ी पुरखों की परंपरा को जारी रखे हुए हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छोटे से गांव की नांदना प्रिंट वियात हो चुकी है। बारीक प्रिंट ही इस कला की विशेषता है। अमरूद, यूकेलिप्टस, सागवान, नीम, अरंडी आदि पत्तों को बड़ी खूबसूरती से साडियों पर उकेरा जाता है। जितना बारीक काम होता है।
साड़ी की कीमत भी उतनी ऊंची होती है। नांदना प्रिंट के साथ अब विदेशी नकनीक 'इको प्रिंट का उपयोग भी साड़ियां पर किया जाने लगा है। इस परंपरा के दम पर जरिया परिवार के पवन कुमार जरिया (Pawan Kumar Jariya) वर्ष 2017 में राष्ट्रीय स्तर पर अवार्ड हासिल कर चुके हैं। वर्ष 2002 में पुरुषोत्तम जरिया और वर्ष 2022 में बनवारी जरिया स्टेट अवार्ड से समानित हो चुके हैं। (MP News)
तारापुर मध्यप्रदेश के अंतिम छोर में बसा और राजस्थान से लगा छोटा सा गांव है, लेकिन विदेशों में यहां की प्रिंट बहुत प्रसिद्ध है। इसके चलते विदेशी पर्यटक विशेषकर महिलाएं यहां खिंची चली आती हैं। इतना ही नहीं नांदना प्रिंट की बारीकियों को नजदीक से समझने के साथ कला में हाथ भी आजमाती हैं। इंडिगो दाबू प्रिंट (indigo dabu print) या तारापुर प्रिंट ईको फ्रेंडली होने से विदेश महिलाओं की पहली पसंद है। इसमें रसायन का उपयोग नहीं होता। इसकी विशेषता यह है कि इसमें 'नील' का उपयोग होता है। (MP News)
नांदना प्रिंट को अपनाने वाला हमारी पांचवीं पीढ़ी है। चार शताब्दी से यह कला हमारे परिवार से जुड़ी हुई है। कला इतनी प्रसिद्ध हो चुकी है कि देश-विदेश की यात महिला शसियत इससे बनी साड़ियां पहन रही हैं। जितना बारीक काम होता है साड़ी के दाम भी उस अनुसार होते हैं। सामान्यतया 700 से 5000 तक की साड़ियों की मांग अधिक रहती है। ऊपर में 15 हजार तक की साड़ियों उपलब्ध हैं। ऊंची कीमत की साड़ियां आर्डर पर बनाई जाती हैं।- बनवारी जरिया, व्यवसायी