नई दिल्ली

आइआइटी में दाखिले का नया रास्ता बन रहा है- ओलंपियाड

मेरिटोक्रेसी पर सवालः क्या यह पारंपरिक योग्यता आधारिक व्यवस्था के साथ धोखा है

2 min read
Sep 11, 2025

नई दिल्ली. अंतरराष्ट्रीय ओलंपियाड भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आइआइटी) में दाखिले के लिए एक नया रास्ता बन रहा है। अब तक इन प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेइइ एडवांस) ही एक मात्र रास्ता रहा है। लाखों विद्यार्थी हॉस्टलों और कोचिंग सेंटरों में रहकर, लाखों रुपए खर्च कर इस चुनौतीपूर्ण परीक्षा की तैयारी करते हैं। यह परीक्षा अपनी कठिनाई, कोचिंग-निर्भरता और प्रतिष्ठा के लिए जानी जाती है। लेकिन, अब ओलंपियाड के जरिए प्रवेश एक नया रास्ता खोला जा रहा है। हालांकि इस पर सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या यह पारंपरिक योग्यता आधारिक व्यवस्था (मेरिटोक्रेसी) के साथ धोखा नहीं है?

आइआइटी कानपुर की पहल

शैक्षणिक सत्र 2025-26 में आइआइटी कानपुर ने गणित, भौतिकी, रसायन, जीवविज्ञान और कंप्यूटर साइंस जैसे विषयों में अंतरराष्ट्रीय ओलंपियाड में चयनित पांच विद्यार्थियों को सीधे बीटेक और बीएस कोर्स में दाखिला दिया। इन छात्रों को जेईई एडवांस नहीं देना पड़ा। उन्हें ओलंपियाड मेरिट के आधार पर शॉर्टलिस्ट किया गया और फिर लिखित परीक्षा से चुना गया। खास बात यह रही कि इन विद्यार्थियों को किसी 'ब्रिज कोर्स' की भी आवश्यकता नहीं पड़ी। वे नियमित बैच के साथ पढ़ाई कर रहे हैं।

अन्य आइआइटी भी कर रहे प्रयोग

  1. आइआइटी गांधीनगर और आइआइटी इंदौर ने भी इसी तरह के रास्ते तलाशने शुरू कर दिए हैं।

2. आइआइटी मद्रास ने 2025-26 में साइंस ओलंपियाड एक्सीलेंस कार्यक्रम शुरू किया है। इसके तहत हर स्नातक विषय में दो अतिरिक्त सीटें ओलंपियाड विजेताओं के लिए आरक्षित होंगी, जिनमें से एक सीट महिला विद्यार्थियों के लिए होगी।

3. आइआइटी बॉम्बे ने इंडियन नेशनल मैथमेटिकल ओलंपियाड के जरिए बीएस मैथ्स में प्रवेश की सुविधा दी है।- आइआइटी गांधीनगर ऑनलाइन प्रस्तावों के आधार पर ओलंपियाड प्रतिभागियों को अवसर देता है।

4. आइआइटी इंदौर विशेष स्पोर्ट्स चैनल के माध्यम से एक और वैकल्पिक प्रवेश मॉडल पर भी काम कर रहा है।

छात्रों के मन में सवालःनई मेरिटोक्रेसी या असमानता?

यह बदलाव बहस का विषय बन गया है। जो विद्यार्थी वर्षों तक जेईई की तैयारी करते हैं, उनके लिए यह 'लैटरल एंट्री' किसी हद तक अनुचित लग सकती है। सवाल यह भी है कि क्या ओलंपियाड की कठिनाई जेईई एडवांस से मेल खाती है?- इस नई पहल से सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या यह प्रवेश प्रक्रिया आइआइटी की पारंपरिक मेरिटोक्रेसी को कमजोर करेगी या उसे और विविध बनाएगी? विशेषज्ञों के अनुसार, यह बताता है कि मेरिट केवल एक जेईई स्कोर से नहीं मापी जा सकती। जहां जेईई एडवांस का दबाव तेजी और पैटर्न पर है, वहीं ओलंपियाड ज्ञान की गहराई, विश्लेषण और मौलिकता पर केंद्रित होते हैं। इस लिहाज से आइआइटी में प्रवेश के वैकल्पिक रास्ते भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नए आयाम दे सकते हैं।

Published on:
11 Sept 2025 01:36 am
Also Read
View All

अगली खबर