Arvind Kejriwal: सोमवार को अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने नए बंगले का दौरा किया और आवास से जुड़ी तैयारियों का जायजा लिया।
Arvind Kejriwal: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को आखिरकार केंद्र सरकार की ओर से नया सरकारी आवास आवंटित कर दिया गया है। उन्हें लोधी एस्टेट स्थित 95 नंबर बंगला दिया गया है, जो पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता और पूर्व आईपीएस अधिकारी इकबाल सिंह लालपुरा को आवंटित था। यह आवंटन दिल्ली हाईकोर्ट की फटकार के बाद हुआ है, जिसने सरकार से आवास आवंटन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने को कहा था। हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने नए बंगले का दौरा किया और आवास से जुड़ी तैयारियों का जायजा लिया। 95 लोधी एस्टेट लुटियंस जोन के उन प्रतिष्ठित बंगलों में से एक है, जहां वरिष्ठ राजनेता, अधिकारी और अन्य उच्च पदस्थ व्यक्ति रहते हैं।
यह मामला तब चर्चा में आया जब केंद्र सरकार ने मायावती द्वारा खाली किया गया 35 लोधी एस्टेट बंगला केजरीवाल को न देकर एक केंद्रीय राज्य मंत्री को आवंटित कर दिया था। आम आदमी पार्टी ने इस फैसले को "भेदभावपूर्ण और गैर-पारदर्शी" बताया और इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। ‘आप’ का कहना था कि पार्टी अध्यक्ष के रूप में अरविंद केजरीवाल को भी वही सुविधा मिलनी चाहिए जो अन्य राष्ट्रीय दलों के अध्यक्षों को मिलती है। केजरीवाल ने 35 लोधी एस्टेट जैसा या उसके बराबर आकार का टाइप-VII बंगला मांगा था। यह वही बंगला है जिसमें पूर्व में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती रहती थीं।
सूत्रों के मुताबिक, नियमों के अनुसार राष्ट्रीय दलों के प्रमुखों को सरकारी आवास तभी दिया जाता है, जब उन्हें पहले से कोई आवास आवंटित न हो। एक अधिकारी ने बताया कि “इस श्रेणी के अंतर्गत फिलहाल केवल मायावती और केजरीवाल ही आते हैं।” 95 लोधी एस्टेट वाले बंगले के आसपास कई दिग्गज हस्तियां रहती हैं। बंगला नंबर 97 में कांग्रेस सांसद शशि थरूर, बंगला 94 में रिटायर्ड रियर एडमिरल धीरेन विज और बंगला 96 में संजय साहू रहते हैं। ऐसे में केजरीवाल का नया आवास राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों के केंद्र में स्थित है।
इस पूरे विवाद की सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट में चल रही थी। आम आदमी पार्टी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 16 सितंबर को केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी। अदालत ने कहा था कि आवास आवंटन प्रणाली सभी के लिए समान और पारदर्शी होनी चाहिए। अदालत ने इस पर भी सवाल उठाया था कि केंद्र सरकार ने केजरीवाल के आवास आवंटन में अनावश्यक देरी क्यों की, जबकि नियमों के तहत उनकी पात्रता तय थी।
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह इस प्रक्रिया में सभी संबंधित रिकॉर्ड और निर्णय का आधार अदालत में प्रस्तुत करे और बताए कि 35 लोधी एस्टेट बंगला किसी मंत्री को क्यों दिया गया। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि सरकारी आवासों के प्रबंधन में पारदर्शिता की कमी लोकतांत्रिक संस्थाओं की साख पर असर डालती है। हाईकोर्ट की इस फटकार के बाद केंद्र ने तेजी दिखाई और अंततः 95 लोधी एस्टेट बंगला अरविंद केजरीवाल को आवंटित कर दिया। इस तरह महीनों से चल रहा आवास विवाद फिलहाल समाप्त होता दिख रहा है।