Deoband : बारात में हुड़दंग और नाचगाने को देवबंदी उलेमा ने झूठा स्टेटस बताया है।
Deoband : शादी-बारात में होने वाले धूम-धड़ाकों और बैंड-बाजों पर होने वाले महिलाओं के डांस पर देवबंदी उलेमाओं ने नाराजगी जताई है। देवबंदी उलेमा कारी इसहाक गौरा ने यहां तक कहा दिया है कि जिन परिवारों में ऐसा किया जाता है कि उससे पता चलता है कि उन परिवारों में दीनी तालीम यानी धर्म की शिक्षा का अभाव है।
जमीयत दावातुल मुस्लिमीन के संरक्षक और देवबंदी उलेमा मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने मुस्लिम शादियों में बढ़ते दिखावे नाच-गाने और गैर-शरई रस्मों पर सख्त एतराज जाहिर किया है। शनिवार को जारी एक वीडियो में उन्होंने कहा कि शादी-विवाह एक पवित्र बंधन है पवित्र उत्सव है। ऐसे कार्यक्रमों को भी लोगों ने झूठे स्टेटस का जरिया बना लिया है। यह बहुत ही सोचनीय विषय है कि हम कहां जा रहा हैं और क्या दिखाना चाहते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि हाल ही में कुछ ऐसी बारात देखने के मिली हैं जिनमें हुड़दंगपन और खुराफात की सारी हदें पार कर दी गई। बोले कि, जब हम देखते हैं कि मदरसों, मस्जिदों और दीन के इदारों के बाहर से मुस्लिम लोगों की बारात जाती है तो पाते हैं कि ढोल नगाड़े बज रहे हैं और खुराफात भी जमकर हो रही है। तो ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यही इस्लाम की बेहतरीन सुन्नत की अदा है। इस्लाम में निकाह और शादी को पाक अमल के रूप में जाना जाता है लेकिन हम उसका उड़ा रहे हैं।
आगे वीडियो में संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि जब समाज के कुछ जिम्मेदार लोग इन गलत रस्मों पर रोक लगाने की कोशिश करते हैं तो उन्हे कहा जाता है कि आज के दौर में यही स्टेटस है। यह हैरत की बात है कि नाच-गाना और ग़ैर-इस्लामी रस्में मुसलमानों का स्टेटस भला कैसे हो सकती हैं। मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने साफ लफ्जों में कहा कि अगर कोई मुसलमान शादी-ब्याह में नाच-गाने और खुराफात को अपनी शान समझता है तो इसका यही मतलब है कि उसे दीनी तालीम नहीं मिली है। अगर वह इतना कुछ करके भी खुद को तालीम-याफ्ता बताता है तो इसका मतलब ये है कि तालीम उसके सिर के ऊपर से होकर गुजर गई और उसे कुछ भी समझ नहीं आया। अंत में उन्होंने कहा कि मुसलमान इस दिखावे और झूठे स्टेटस से बाहर निकलकर अपनी शादियों को दीन के मुताबिक सादगी से करें।