जेपीसी के समक्ष पीएम-ईएसी के सदस्य सान्याल ने भी रखी अपनी बात
नई दिल्ली। ‘एक देश, एक चुनाव’ (वन नेशन, वन इलेक्शन) पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक बुधवार को हुई। बैठक की अध्यक्षता पी.पी. चौधरी ने की। बैठक में हार्वर्ड विश्वविद्यालय की प्रोफेसर और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की पूर्व डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर गीता गोपीनाथ ने कहा कि एक देश, एक चुनाव से चुनावो की संख्या कम होने के कारण महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ होंगे। मैक्रोइकोनॉमिक दृष्टि से यह कदम एक महत्वपूर्ण सुधार होगा।
गोपीनाथ ने बताया कि अनुभव बताता है कि चुनावी वर्षों में निजी निवेश औसतन 5 प्रतिशत तक घट जाता है, और बाद के वर्षों में भी इसकी पूरी भरपाई नहीं हो पाती। चुनावों की संख्या कम होने से अनिश्चितता घटेगी, जिससे निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही चुनावी वर्षों में प्राथमिक घाटा बढ़ता है और पूंजीगत व्यय घटता है, जिसे एक देश, एक चुनाव से नियंत्रित किया जा सकता है।
गीता गोपीनाथ ने एन.के. सिंह के अनुमान का हवाला देते हुए कहा कि इन सभी कारकों के संयुक्त प्रभाव से जीडीपी में लगभग 1.5 प्रतिशत की वृद्धि संभव है, जो करीब 4.5 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त आर्थिक उत्पादन के बराबर होगी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में चुनाव अत्यंत महंगे होते हैं और एक साथ चुनाव कराने से कुल चुनावी खर्च में भारी कमी आएगी।