तीतर परिवार से : मकडिय़ों पर अध्ययन करते समय पड़ी शोधकर्ता की नजर
बेलगावी. कर्नाटक के बेलगावी जिले के रामदुर्ग के आसपास की पहाडिय़ों में नई नस्ल की दुर्लभ रंगीन बत्तख का पता चला है। पहाडिय़ों के झाड़ीदार इलाकों में पाई जाने वाली यह बत्तख बहुत संवेदनशील और शर्मीली है। यह तीतर परिवार से संबंधित है। नर बत्तख अधिक चमकीले रंग के होते हैं, जबकि मादा बत्तख नर की तुलना में फीके रंग की होती हैं। ये बहुत तेज दौड़ती हैं, लेकिन इनके लिए उडऩा मुश्किल है।शोधकर्ता शशिकांत कम्बन्नवर ने इस नस्ल का पता लगाया। मकडिय़ों पर अध्ययन करते समय केपीटीसीएल अधिकारी शशिकांत की नजर इस बत्तख पर पड़ी। इसे अंग्रेजी में पेंटेड स्पैरोफाउल कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम गैलोपार्डिक्स लुनुलता है।
नर-मादा की खूबियां
नर बत्तख की पूंछ और पंख काले होते हैं। किनारों पर सफेद धब्बे होते हैं। सिर और गर्दन हरे रंग की आभा से युक्त होती है। मादा बत्तख के शरीर पर कोई सफेद धब्बा नहीं होता। चोंच और पैर गहरे भूरे रंग के होते हैं। नर के पैरों पर चार कंघी जैसी दांतनुमा संरचनाएं होती हैं। मादा बत्तखों में ये एक या दो होती हैं।
अनुकूल जलवायु
बेलगावी में बत्तख पालन लाभदायक व्यवसाय है। यहां जलवायु और पानी की उपलब्धता बत्तख पालन के लिए अनुकूल है। बत्तखें नदियों, तालाबों, झीलों, महासागरों, दलदलों और खुले पानी के पास पाई जाती हैं। इन्हें जमीन और पानी, दोनों पर पाला जा सकता है।