नई दिल्ली

दिल्ली में पटाखा बेचने का लाइसेंस क्यों नहीं ले रहे व्यापारी? सुप्रीम कोर्ट का आदेश बना चुनौती

Diwali in Delhi: दिल्ली पुलिस ने 24x7 हेल्पलाइन और ‘ग्रीन क्रैकर सेल’ भी शुरू की है, लेकिन बाजार में अवैध बिक्री रुकने का नाम नहीं ले रही। सरोजिनी नगर के एक व्यापारी ने बताया कि उनका माल हफ्तों पहले हिसार से आ चुका है और वह बिना लाइसेंस भी ग्राहकों को बेचने के लिए तैयार हैं।

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दिल्ली के पटाखा बाजार में सुस्ती।

Diwali in Delhi: दीपावली की रौनक के बीच दिल्ली का पटाखों का बाजार इस बार अपेक्षाकृत सुस्त नजर आ रहा है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस बार ग्रीन पटाखों की बिक्री को अनुमति दी है, लेकिन दिल्ली के व्यापारी इस मौके को भुनाने में उतने उत्साहित नहीं दिख रहे। गुरुवार को शुरू हुई दो दिन की लाइसेंस प्रक्रिया में मात्र 15 व्यापारियों ने ही आवेदन किया। इसका मुख्य कारण जटिल लाइसेंस प्रक्रिया और ग्रीन पटाखों की सीमित उपलब्धता है।

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सुप्रीम कोर्ट का फरमान और सीमित समय

सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखों की बिक्री के लिए 18 से 20 अक्टूबर तक का समय निर्धारित किया है। इसके अलावा इन पटाखों को जलाने की अनुमति केवल 19 और 20 अक्टूबर को सुबह 6 से 7 बजे और रात 8 से 10 बजे के बीच दी गई है। लाइसेंस लेने के लिए व्यापारियों को दिल्ली के 15 डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस में से किसी एक के पास आवेदन करना पड़ता है। इसके लिए एफिडेविट, फायर डिपार्टमेंट से एनओसी, साइट प्लान और 200 रुपये का बैंक ड्राफ्ट जमा करना अनिवार्य है। इसके बाद स्थानीय पुलिस स्टेशन से वेरिफिकेशन भी करवाना पड़ता है। इस प्रक्रिया को केवल दो दिन में पूरा करना बेहद चुनौतीपूर्ण है।

निगरानी और नियमों का पालन भी बना चुनौती

इस वजह से दिल्ली के 15 पुलिस डिप्टी कमिश्रर के ऑफिस में से छह जिलों नई दिल्ली, साउथईस्ट, द्वारका, ईस्ट, नॉर्थवेस्ट और आउटर में एक भी आवेदन नहीं आया। सबसे ज्यादा आवेदन साउथवेस्ट जिले में आए, वह भी केवल तीन। इसलिए इस दीवाली पर दिल्ली के पटाखों के बाजार में सिर्फ चमक ही नहीं, बल्कि चुनौतियां भी उजागर हो रही हैं। ग्रीन पटाखों की कमी, जटिल लाइसेंस प्रक्रिया और नकली उत्पादों का खेल, व्यापारियों की उत्सुकता को ठंडा कर रहा है। वहीं, पुलिस की कड़ी निगरानी और नियमों के पालन की कोशिशें बाजार को नियंत्रित करने की चुनौती बन गई हैं।

ग्रीन पटाखों की कमी और नकली लेबल का खेल

बाजार में ग्रीन पटाखों की कमी भी व्यापारियों के लिए समस्या बनी हुई है। सीलमपुर के थोक व्यापारी हरि शंकर पिछले तीन दशकों से पटाखे बेच रहे हैं। हरिशंकर कहते हैं, "लाइसेंस मिल भी जाए तो ग्रीन पटाखे कहां से लाएं? थोक में सप्लाई ही नहीं है। मैंने आवेदन किया, लेकिन यह एक बड़ा जोखिम है।" वहीं, कुछ व्यापारी नकली ग्रीन पटाखों के खेल में भी उलझे हैं। अधिकारी बताते हैं कि बाजार में नकली क्यूआर कोड और फर्जी लेबल वाले पटाखे खूब बिक रहे हैं। इसके चलते दिल्ली के बाजारों में नियमों की खुलेआम अनदेखी हो रही है। सआदत मार्केट से लेकर लाजपत नगर तक पटाखों की बिक्री जोरों पर है, जिसमें फुलझड़ियों से लेकर रॉकेट तक सभी प्रकार के पटाखे बिना लाइसेंस के बिक रहे हैं।

ऑनलाइन ऑर्डर और छुप-छुपकर डिलीवरी

लाजपत नगर के एक व्यापारी ने HT को बताया कि वह ऑनलाइन ऑर्डर भी ले रहे हैं। उन्होंने कहा, "पुलिस को पता है कि दुकान में ज्यादा स्टॉक रखने से पकड़े जाएंगे। इसलिए हम स्टॉक छुपाते हैं और ग्राहकों को उनके घर या पास की जगह पर डिलीवरी देते हैं। आज ही 10 ऑर्डर मिल चुके हैं।" ग्रेटर कैलाश के एक छोटे स्टॉल वाले ने भी कहा, "लोग कई दिनों से खरीद रहे हैं। अब लाइसेंस के लिए क्या भागदौड़ करें?"

पुलिस की कोशिशें और चुनौतियां

दिल्ली पुलिस ने नियमों को लागू करने के लिए स्पेशल टीमें बनाई हैं। स्पेशल सीपी (क्राइम) देवेश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा‌ कि बैन किए गए पटाखों की बिक्री या इस्तेमाल चाहे ऑनलाइन हो या कूरियर से, अगर कहीं फर्जीवाड़ा पकड़ा गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं पिछले साल का अनुभव भी यही बताता है कि दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट का आदेश पूरी तरह लागू करना आसान नहीं है। पिछली बार जब पूरी तरह से पटाखों पर बैन था, तब भी लोग खुलेआम पटाखे जला रहे थे। एक हेड कांस्टेबल ने बताया, "लोग गाजियाबाद और गुरुग्राम से पटाखे लाए। कुछ ने तो हम पर जलते हुए पटाखे तक फेंके जब हमने रोकने की कोशिश की।"

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