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सिंगरौली के बाद छतरपुर के मेडिकल कॉलेज में अस्तपाल बनाए जाने की हुई घोषणा, दमोह में कोई सगुबुगाहट नहीं

-जिला अस्पताल में मेडिकल कॉलेज संचालित होने से आएंगी कई व्यवहारिक परेशानियां, छात्रों को भी करना पड़ेगा ७ किमी आना जाना।

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Sep 15, 2025



दमोह. सिंगरौली के बाद अब छतरपुर जिले में भी मेडिकल कॉलेज परिसर में अस्पताल बनाए जाने की घोषणा हो गई है। हालही में स्थानीय विधायक की मांग पर सीएम डॉ. मोहन यादव ने छतरपुर में इसकी घोषणा की। हैरानी की बात यह है कि दमोह में अब तक कोई सुगबुगाहट सुनाई नहीं दी है। या फिर सीएम के दौरे का इंतजार किया जा रहा है। बता दें कि प्रदेश में जहां-जहां नए मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं। उन जिलों में मेडिकल कॉलेज जिला अस्पताल से संचालित किए जाने के निर्देश दिए हैं। इस वजह से मेडिकल कॉलेज कैंपस में अस्पताल भवन नहीं बनाया जा रहा है।
-शहर से है ७ किमी दूर, आने जाने में होगा समय बर्बाद
मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल की दूरी लगभग ७ किमी है। पहले सेमेस्टर में तो छात्रों को कोई खास जरूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन दूसरे सेमेस्टर में छात्रों को आना-जाना करना पड़ेगा। इससे उनका समय खराब होगा। वहीं, डॉक्टर्स व टीचिंग स्टाफ की भी समय की बर्बादी होगी। इधर, नर्सिंग स्टाफ व पैरामेडिकल स्टाफ को भी प्रतिदिन आना जाना करना पड़ेगा।
-तालमेल बैठाना होगा मुश्किल
मेडिकल कॉलेज में सबसे बड़ा पद डीन का होता है। वहीं, अस्पताल की जिम्मेदारी अधीक्षक की होती है। इधर, सीएमएचओ जिले के स्वास्थ्य संस्थाओं का मुखिया होता है। जिला अस्पताल की जिम्मेदारी सिविल सर्जन की होती है। जब मेडिकल कॉलेज जिला अस्पताल से संचालित होता तो दोनों संस्था प्रमुखों के बीच मनमुटाव की स्थिति बन सकती है। इधर, बजट के डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर भी टकराव हो सकता है। डॉक्टरों की ड्यूटी लगाने और रोस्टर तैयार करने में खींचतान होगी। ऐसी स्थिति में मरीजों को परेशानी हो सकती है।
अधिकारियों की राय:-
सिविल सर्जन डॉ. प्रहलाद पटेल के अनुसार जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के बीच तालमेल सही बैठता है तो कोई परेशानी नहीं होगी, लेकिन यदि परिस्थितियां विपरीत हुई तो सामाजस्य बैठा पाना मुश्किल होगा। डॉ. पटेल की माने तो प्रदेश सरकार ने मेडिकल कॉलेज व जिला अस्पताल को मर्ज कर दिया है। इस वजह से जिला अस्पताल में मेडिकल कॉलेज का क्लीनिकल पार्ट शुरू होगा।

बीएमसी के पूर्व डीन व सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. आरएस वर्मा ने बताया कि उनके अनुभव के हिसाब से दोनों संस्थाओं का एक साथ काम करना बेहद कठिन होता है। डॉ. वर्मा बताते हैं कि जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज अलग-अलग स्वास्थ्य संस्थाएं हैं। मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर्स बनते हैं। यहां पर गंभीर मरीज ही देखे जाते हैं।

वर्शन
शासन की गाइड लाइन के अनुसार ही मेडिकल कॉलेज बनाए जा रहे हैं। उसके हिसाब से ही काम हो रहा है। अस्पताल भवन बनाने की अभी जरूरत नहीं है। जिला अस्पताल में ही मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स बैठकर इलाज करेंगे।
अनिल सुचारी, कमिश्रर सागर

Published on:
15 Sept 2025 11:42 am
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