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Andhra Pradesh : अगले पोप के चुनाव का हिस्सा होंगे भारत के पहले दलित कार्डिनल एंथनी पूला

वोट करने के पात्र 138 कार्डिनल्स में से एक हैं 62 वर्षीय एंथनी पूला Andhra Pradesh अमरावती . रोमन कैथोलिक चर्च के अगले प्रमुख का चुनाव करने वाले कार्डिनल्स के कॉलेज में भारत के चार कार्डिनल शामिल होंगे, जिनमें एक दलित भी शामिल है। आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले से ताल्लुक रखने वाले 62 वर्षीय […]

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Apr 22, 2025

वोट करने के पात्र 138 कार्डिनल्स में से एक हैं 62 वर्षीय एंथनी पूला

Andhra Pradesh अमरावती . रोमन कैथोलिक चर्च के अगले प्रमुख का चुनाव करने वाले कार्डिनल्स के कॉलेज में भारत के चार कार्डिनल शामिल होंगे, जिनमें एक दलित भी शामिल है। आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले से ताल्लुक रखने वाले 62 वर्षीय हैदराबाद के आर्कबिशप एंथनी पूला अगले पोप के लिए वोट करने के पात्र 138 कार्डिनल्स में से एक हैं। अन्य तीन कार्डिनल फिलिप नेरी फेराओ, कार्डिनल बेसिलियोस क्लेमिस और कार्डिनल जॉर्ज जैकब कूवाकड हैं।

एंथनी पूला को 27 अगस्त, 2022 को पोप फ्रांसिस द्वारा एसएस प्रोटोमार्टिरी ए वाया ऑरेलिया एंटिका के कार्डिनल-प्रीस्ट के रूप में नियुक्त किया गया था, जिससे वे न केवल एकमात्र तेलुगु व्यक्ति बन गए, बल्कि रोमन पोंटिफ के कार्डिनल्स के कॉलेज में नियुक्त होने वाले एकमात्र दलित भी बन गए, जो विभिन्न मामलों पर पोप का मार्गदर्शन करता है। एंथनी पूला के पास चर्च में वीटो पावर भी है और उनका दिवंगत पोप से सीधा संपर्क था।

2020 में पोप फ्रांसिस ने हैदराबाद के आर्कबिशप के रूप में किया नियुक्त

वेटिकन तक पूला की यात्रा उल्लेखनीय है क्योंकि वे वर्चस्वशाली जाति उत्पीडऩ के खिलाफ एक प्रतीक के रूप में सामने आते हैं। 62 वर्षीय पूला आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले से हैं। 2020 में पोप फ्रांसिस द्वारा हैदराबाद के आर्कबिशप के रूप में नियुक्त किए जाने से पहले उन्होंने 12 साल से अधिक समय तक कुरनूल के सूबा का नेतृत्व किया।

2022 में नियुक्ति के बाद, कार्डिनल ने नेशनल कैथोलिक रजिस्टर (एनसीआर) और क्विंट के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि वह अपनी पदोन्नति को दलित ईसाइयों को अनुसूचित जाति श्रेणी में शामिल करने की वकालत करने के अवसर के रूप में देखते हैं।

एंथनी पूला की पदोन्नति को चर्च संप्रदायों और संगठनों के कई दलित नेताओं द्वारा अथक संघर्ष और दावे का परिणाम माना गया। दलित ईसाइयों के बीच आशा को बढ़ावा देने के साथ-साथ उनकी पदोन्नति ने कैथोलिक चर्च में दलित समुदायों की स्थिति के मद्देनजर विभिन्न जिम्मेदारियों को पूरा करने की उनसे उम्मीदें भी बढ़ाईं।

नेशनल काउंसिल ऑफ दलित क्रिस्चियन के समन्वयक फ्रैंकलिन सीजर थॉमस ने 2022 में कहा था कि हम उम्मीद करते हैं कि वे चर्च में अस्पृश्यता को मिटाने के लिए बड़े पैमाने पर काम करेंगे, अलग-अलग कब्रिस्तान और दफनाने जैसी प्रथाओं की निंदा करेंगे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दलित ईसाइयों के लिए अनुसूचित श्रेणी के दर्जे के लिए एक मुखर आवाज़ के रूप में उभरें।

संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950, अस्पृश्यता से उत्पन्न सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के आधार पर हाशिए पर पड़े समुदायों की पहचान करता है। हालांकि, आदेश इस वर्गीकरण को केवल उन समुदायों की सूची में सीमित करता है जो हिंदू धर्म का पालन करना जारी रखते हैं। बाद में, 1956 में दलित सिखों और 1990 में दलित बौद्धों को शामिल किया गया। दलित ईसाई और मुसलमान अभी भी इस श्रेणी में शामिल होने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

Published on:
22 Apr 2025 05:58 pm
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