जैसलमेर/बाड़मेर. देश की पहली सुरक्षा पंक्ति कही जाने वाली सीमा सुरक्षा बल (सीसुब) के जवान हर मौसम में सीमाओं की निगरानी में तैनात रहते हैं।
जैसलमेर/बाड़मेर. देश की पहली सुरक्षा पंक्ति कही जाने वाली सीमा सुरक्षा बल (सीसुब) के जवान हर मौसम में सीमाओं की निगरानी में तैनात रहते हैं। राजस्थान के सीमांत जिले जैसलमेर और बाड़मेर की पाकिस्तान से सटी सीमा की सुरक्षा का दायित्व इसी बल के कंधों पर है। जैसलमेर जिले की सीमा ४६४ किलोमीटर लंबी है और बाड़मेर जिले की २२८ किलोमीटर। सीमावर्ती इलाकों में मई-जून की कड़क धूप और ५० डिग्री से अधिक तापमान में भी जवान चौकियों पर अडिग रहते हैं। रेतीले धोरों में बनी चौकियों पर कई बार जवान उपकरणों की मरम्मत और तैनाती करते हैं। वहीं सर्दियों में हाड़ कंपाने वाली ठंड और घुसपैठ जैसे खतरों के बीच भी सुरक्षा पूरी तरह सुनिश्चित रहती है। ऑपरेशन गर्म हवा और सर्द हवा जैसी रणनीतियों से हर मौसम में सुरक्षा की कवायद जारी रहती है।
सीसुब ने आधुनिक तकनीक अपनाकर जवानों की क्षमता और सुरक्षा बढ़ाई है। सीमाओं पर मजबूत तारबंदी, फ्लड लाइट्स, पेट्रोलिंग वाहन, दूरबीन और अत्याधुनिक हथियारों से जवानों को लौह सुरक्षा प्रदान की जाती है। वर्षभर आयोजित प्रशिक्षण और अलर्ट के समय जवान तत्काल सीमा पर तैनात हो जाते हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थानीय लोगों के साथ सहयोग भी सीमा सुरक्षा बल की प्रमुख प्राथमिकता है। चिकित्सा शिविर, सरकारी स्कूलों में अध्ययन सामग्री और खेलकूद सामग्री का वितरण, युवाओं को भर्ती के लिए प्रेरित करना इसी सहयोग का हिस्सा है। तनोट मंदिर का संरक्षण भी जवानों के संरक्षण में आता है।
महिला सुरक्षा प्रहरी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। जैसलमेर जिले में लगभग ३०० महिलाएं कठिन परिस्थितियों में सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं। उनके हौसले और सतर्कता से सीमाएं मजबूत बनी रहती हैं। सीमा सुरक्षा में अब ऊंट और प्रशिक्षित श्वान के साथ रोबोटिक डॉग्स भी शामिल हैं। ये थर्मल कैमरे और रडार से लैस हैं। ३६० डिग्री घूमने वाले कैमरे से फोटो और वीडियो खींच सकते हैं। वजऩ ५० किलो और लंबाई २७ इंच के ये डॉग्स -४० डिग्री से ५५ डिग्री तक तापमान में समान क्षमता से काम करते हैं। इन्हें १ मीटर से १० किलोमीटर की दूरी पर संचालित किया जा सकता है।
पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में सालभर मिसाइलें, टैंक और अन्य हथियारों की परीक्षा होती रहती है। रेंज को चार भागों में विभाजित किया गया है, जहां थलसेना और वायुसेना अपने-अपने युद्धाभ्यास करती हैं। यहां पिनाका रॉकेट, ब्रह्मोस मिसाइल-२, धनुष और अर्जुन टैंक का परीक्षण भी किया गया है। युद्धाभ्यास में हर मौसम में हथियारों की ताकत और क्षमता का परीक्षण सुनिश्चित होता है।