शिक्षक दिवस पर प्रदेश के अन्य शिक्षको के साथ सम्मानित होंगे मॉडल स्कूल बिरसा के सौरभ शर्मा
चुनौतियों को अवसर बनाकर बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दी। शून्य लागत के नवाचार विकसित किए, सुखद परिणाम भी सामने आए। अब शिक्षक के समर्पण और कार्यो का सम्मानीत किया जाएगा। शिक्षक दिवस पर भोपाल में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में अन्य शिक्षकों के साथ ही बालाघाट जिले के बिरसा मॉडल स्कूल में पदस्थ उच्च माध्यमिक शिक्षक सौरभ शर्मा भी सम्मानित किए जाएंगे।
बिरसा जैसे आदिवासी अंचले में भी स्कूली शिक्षा पाने वाले शिक्षक सौरभ शर्मा ने पत्रिका से चर्चा में बताया कि वे एक सामान्य मध्य वर्गीय परिवार से है। बचपन से ही पढऩे-लिखने और सिखाने की प्रवृत्ति रही। कारण यही रहा कि वे शिक्षक बने।
सौरभ शर्मा के अनुसार उनकी रुचि प्रारंभ से ही सामाजिक विज्ञान और भूगोल जैसे विषयों में रही, जो मनुष्य और प्रकृति के संबंधों की पड़ताल करते हैं। उन्होंने इन विषयों को केवल पाठ्यक्रम के रूप में नहीं, बल्कि समाज और संस्कृति की गहराई को समझाने का माध्यम माना। प्रथम नियुक्ति 27 जून 2009 को शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय मोहझरी लांजी में हुई। यहां ग्रामीण परिवेश, सीमित संसाधन और सामाजिक चुनौतियों के बीच बच्चों को शिक्षित करना आसान नहीं था। लेकिन इसे चुनौती नहीं, एक अवसर माना। बच्चों को पाठ्यक्रम से अधिक जीवन पढ़ाया। पाया कि यदि एक शिक्षक छात्रों के जीवन में दृढ़ विश्वास और प्रेरणा का स्रोत बन जाए, तो वे किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं।
वर्ष 2014 में मेरा स्थानांतरण शासकीय मॉडल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बिरसा में हुआ। इस स्कूल को केवल एक शैक्षणिक संस्था के रूप में नहीं देखा, बल्कि इसे परिवर्तन का प्रयोगशाला बनाया। बकौल सौरभ शर्मा मैं भूगोल विषय का शिक्षक हूूॅ, लेकिन मेरा प्रयास रहा कि यह विषय केवल नक्शों और परिभाषाओं तक सीमित न रहे। मैंने 30 मॉडल्स, डायग्राम आधारित शिक्षण, स्थानीय सामग्री का उपयोग, कक्षा अखबार, जान दीवार, प्रश्न पेटी, रोल प्ले, छात्र-निर्मित टीएलएम जैसी अनेकों शून्य लागत नवाचार विधियों अपनाई। मेरी मान्यता है कि सीखना तभी स्थायी होता है, जब छात्र स्वयं सौचता, बनाता और अपनाता है।
सौरभ शर्मा क अनुसार कोविड 19 महामारी के दौरान जब शिक्षा व्यवस्था ठप पड़ी, तब उन्होंने बच्चों तक पहुंचने ऑनलाइन क्लासेस, व्हाट्सएप पर पीडीएफ, ऑडियो वीडियो, विशेष अभ्यास कक्षाएं ली। विद्यालय ने सत्र 2020 में 100 प्रतिशत परीक्षा परिणाम अर्जित किया। प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण छात्रों की संख्या उल्लेखनीय रही।
सौरभ शर्मा के अनुसार प्रवेश प्रक्रिया को एक रचनात्मक आंदोलन में बदला। जनजागरुकता अभियान चलाना, अभिभावक मीटिंग, सोशल मीडिया प्रचार, पूर्व छात्रों की प्रेरक कहानियों साझा करना, विशेष प्रवेश कोचिंग इत्यादि। परिणाम स्वरूप लगातार तीन वर्षों तक विद्यालय ने प्रवेश आवेदन सूची में अग्रणी स्थान प्राप्त किया। स्कूल में राष्ट्रीय सेवा योजना और यूनिट की स्थापना हुई। एनएसएस शिविर के माध्यम से छात्रों को दुर्गम क्षेत्रों में ले जाकर सामाजिक सेवा, स्वच्छता, साक्षरता और जागरुकता अभियानों में भाग दिलाया। उनके निर्देशन में छात्र अविष्य ने राष्ट्रीय स्तर की शतरंज प्रतियोगिता में भाग लिया और वे स्वयं मप्र टीम का कोच नियुक्त हुए।
शर्मा के अनुसार उन्होंने शिक्षा को केवल नौकरी नहीं समझा। मेरे लिए शिक्षा समाज निर्माण की सबसे सशक्त प्रक्रिया है। विद्यालय को ऊर्जा साक्षरता अभियान में जिले में शत प्रतिशत योगदान के लिए सम्मानित किया गया। बकौल सौरभ शर्मा मेरे 16 वर्षों की सेवा में मैंने अनेकों प्रशिक्षण, कार्यशालाएं और विकासशील कार्यक्रमों में भाग लिया। मैं निरंतर सीखता रहा और छात्रों को सिखाने की प्रक्रिया को सरल, रोचक, सजीव और प्रेरणास्पद बनाता रहा। परिणाम स्वरूप उनका नाम राज्य स्तरीय सम्मान के लिए भेजा गया है।