बैंगलोर

वन्यजीव संरक्षण के लिए मानव-वन्यजीव संघर्ष समाप्त करना जरूरी : सीएम

मुख्यमंत्री ने कहा कि दशकों से चल रहे वनीकरण के कामों का कोई नतीजा नहीं निकला है। वे पहली बार 1994 में मंत्री बने थे और तब से वन विभाग के कार्यक्रमों पर कड़ी नजर रख रहे हैं। वनों का क्षेत्रफल लगभग 20 फीसदी ही बना हुआ है।

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Sep 12, 2025
file photo

मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने गुरुवार को वन्यजीव संरक्षण की सफलता के लिए वन्यजीव संघर्ष को समाप्त करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने वनों के बेहतर संरक्षण के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को क्षेत्र का दौरा करने के लिए कहा। इससे अन्य वनकर्मी भी प्रेरित होकर बेहतर परिणाम देंगे।

मुख्यमंत्री राष्ट्रीय वन शहीद दिवस के अवसर पर कर्तव्य निर्वहन के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले वन अधिकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद सभा को संबोधित कर रहे थे।

मौजूदा बैरिकेड्स अपर्याप्त

उन्होंने कहा कि सरकार ने हाथियों को जंगलों से बाहर आने से रोकने के लिए जंगलों के किनारों पर 410 किलोमीटर लंबे रेलवे बैरिकेड्स लगाए हैं। हालांकि, यह पर्याप्त नहीं है। बैरिकेड्स का पूरा नेटवर्क तैयार करना होगा। वन एवं पर्यावरण विभाग कोई गरीब विभाग नहीं है।

नहीं बढ़ा वनक्षेत्र

मुख्यमंत्री ने कहा कि दशकों से चल रहे वनीकरण के कामों का कोई नतीजा नहीं निकला है। वे पहली बार 1994 में मंत्री बने थे और तब से वन विभाग के कार्यक्रमों पर कड़ी नजर रख रहे हैं। वनों का क्षेत्रफल लगभग 20 फीसदी ही बना हुआ है। इस पर वन मंत्री ईश्वर बी. खंड्रे ने कहा कि विभाग ने ढाई वर्ष में 11 करोड़ पौधे लगाए हैं।

62 वनकर्मियों की मौत

मंत्री ने बताया कि ड्यूटी के दौरान 62 वनकर्मियों की मौत हुई है। अवैध शिकार रोकने, वन्यजीवों से लडऩे और हाल के वर्षों में मानव-पशु संघर्ष को रोकने के अभियानों में हमारे कई कर्मचारियों की जान गई है। हर वर्ष लगभग 50 से 60 लोग भी अपनी जान गंवा रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि वन्यजीवों, खासकर हाथियों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन उनके आवास सिकुड़ रहे हैं।

Published on:
12 Sept 2025 06:54 pm
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