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सफारी पर प्रतिबंध से वन क्षेत्रों के रिसॉर्ट संकट में, बुकिंग रिकॉर्ड निचले स्तर पर

उद्योग से जुड़े जानकारों के अनुसार दिसंबर से फरवरी पर्यटन का पीक सीजन होता है। यदि सफारी प्रतिबंध इसी तरह जारी रहा, तो इसका सीधा असर रोजगार पर पड़ेगा और बड़े पैमाने पर नौकरियां जाने का खतरा है।

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जंगलों में स्थित रिसॉर्ट और होम-स्टे गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।

file photo

कर्नाटक Karnataka में जंगल सफारी Jungle Safari पर लागू प्रतिबंध के चलते बंडीपुर Bandipur और नागरहोले Nagarhole क्षेत्र के जंगलों में स्थित रिसॉर्ट और होम-स्टे Resorts and homestays गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। छुट्टियों का मौसम नजदीक होने के बावजूद इन इलाकों में बुकिंग बेहद कम बनी हुई है। रिसॉर्ट संचालकों का कहना है कि पर्यटकों के लिए सफारी ही मुख्य आकर्षण थी और इसके बंद होने से पर्यटन गतिविधियां लगभग ठप हो गई हैं। राज्य सरकार ने बंडीपुर और नागरहोले अभयारण्यों Bandipur and Nagarhole sanctuaries में मानव-वन्यजीव संघर्ष, विशेषकर बाघों के हमलों की बढ़ती घटनाओं के बाद 7 नवंबर को जंगल सफारी को निलंबित कर दिया था।

पर्यटन पर टिकी आजीविका

बंडीपुर क्षेत्र के एक होम-स्टे संचालक दीपक पी.बी. ने कहा कि छुट्टियों के मौसम में भी हालात में कोई सुधार नहीं हुआ है। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोगों की आजीविका पर्यटन व्यवसाय पर निर्भर है। वहीं, होम-स्टे संचालक मालिक शेख ने बताया कि सफारी दोबारा शुरू करने के लिए वन विभाग से गुहार लगाई गई है, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

मुदुमलै टाइगर रिजर्व की ओर रुख

बंडीपुर से करीब 15 किलोमीटर दूर तमिलनाडु स्थित मुदुमलै टाइगर रिजर्व Mudumalai Tiger Reserve पर्यटकों की पसंद बनता जा रहा है, क्योंकि वहां सफारी की सुविधा उपलब्ध है। एक रिसॉर्ट मालिक संतोष ने बताया कि कुछ व्यवसाय वहां शिफ्ट हो गए हैं और पर्यटक भी उसी दिशा में रुख कर रहे हैं। हालांकि, कई पर्यटक बिना जानकारी के बंडीपुर पहुंचते हैं और सफारी बंद होने की जानकारी मिलने पर निराश होकर मुदुमलै लौट जाते हैं, जबकि जानकारों के अनुसार बंडीपुर में वन्यजीव दर्शन की संभावनाएं अधिक बेहतर मानी जाती हैं।

किराए घटे, फिर भी बुकिंग नहीं

नागरहोले के एक रिसॉर्ट मालिक ने बताया कि कमरे के किराए 14,000 रुपए से घटाकर 10,000 रुपए कर दिए गए हैं, इसके बावजूद बुकिंग नहीं मिल रही है। यदि मौजूदा स्थिति बनी रही, तो लंबे समय तक व्यवसाय चलाना मुश्किल हो जाएगा।

रोजगार पर पड़ेगा असर

उद्योग से जुड़े जानकारों के अनुसार दिसंबर से फरवरी पर्यटन का पीक सीजन होता है। यदि सफारी प्रतिबंध इसी तरह जारी रहा, तो इसका सीधा असर रोजगार पर पड़ेगा और बड़े पैमाने पर नौकरियां जाने का खतरा है। एक टूर ऑपरेटर ने बताया कि विदेशी पर्यटक आमतौर पर छह महीने पहले ही भारत यात्रा की योजना बना लेते हैं। ऐसे में अचानक लगाए गए इस प्रतिबंध से उन पर्यटकों की योजनाएं प्रभावित हुई हैं, जिन्होंने अपने यात्रा कार्यक्रम में बंडीपुर और नागरहोले को शामिल किया था। उन्होंने कहा कि आखिरी समय में बुकिंग रद्द होने से कर्नाटक को वैश्विक स्तर पर नकारात्मक रिव्यू मिलते हैं, जिसका असर आने वाले महीनों में होने वाली बुकिंग पर पड़ता है।

दूसरे राज्यों की ओर विदेशी सैलानियों का रुख

कर्नाटक की यात्रा रद्द करने वाले कई विदेशी पर्यटकों ने अब असम, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु जैसे अन्य लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में अपनी बुकिंग करा ली है। एक रिसॉर्ट संचालक ने कहा कि उन्हें पहली बार इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में विदेशी पर्यटकों के आगमन के मामले में तमिलनाडु और केरल, कर्नाटक से आगे रहे हैं। वर्ष 2024 में तमिलनाडु में 11.61 लाख, केरल में 7.38 लाख और कर्नाटक में 4.85 लाख विदेशी पर्यटक पहुंचे। वहीं, आंध्र प्रदेश में 2.62 लाख और तेलंगाना में 1.55 लाख विदेशी पर्यटकों का आगमन दर्ज किया गया।

लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता

स्थिति आपातकाल जैसी है। 20 से 30 बाघ अब भी जंगल के बाहर विचरण कर रहे हैं और आम धारणा है कि वाहनों की आवाजाही से हमलों में वृद्धि हुई है। लोगों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। हालात की गहन समीक्षा के बाद ही आगे का निर्णय लिया जाएगा।

-ईश्वर बी. खंड्रे, मंत्री, वन, पारिस्थितिकी और पर्यावरण, कर्नाटक