
उनका कहना है कि यदि यह प्रतिबंध लंबे समय तक जारी रहा तो राज्य का ईकोटूरिज्म सेक्टर Ecotourism sector पूरी तरह चरमरा सकता है और हजारों लोगों की आजीविका पर सीधा असर पड़ेगा। मानव-वन्यजीव संघर्ष Human-wildlife conflict की समस्या से निपटने के लिए वैज्ञानिक और क्षेत्र-विशेष आधारित समाधान अपनाए जाएं, न कि पूरे ईकोटूरिज्म तंत्र को ठप कर दिया जाए।
कर्नाटक ईकोटूरिज्म रिसॉर्ट एसोसिएशन (केइटीआरए) ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि नियंत्रित और नियमबद्ध सफारी Safari पर्यटन तथा हाल के दिनों में बाघों के हमलों Tiger Attacks में हुई मानव मौतों के बीच किसी भी तरह का वैज्ञानिक संबंध साबित नहीं हुआ है। नागराहोले टाइगर रिजर्व में जिन इलाकों में सफारी चलाई जाती है, वे पूरी तरह उन क्षेत्रों से अलग हैं, जहां मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं सामने आई हैं। वहीं बंडीपुर टाइगर रिजर्व में सफारी मार्ग कथित प्रभावित क्षेत्रों से लगभग 50 से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।
केइटीआरए के अनुसार सफारी निलंबन के चलते राज्य सरकार को प्रतिदिन लगभग 60 से 70 लाख रुपए के जीएसटी राजस्व का नुकसान हो रहा है।
केइटीआरए से जुड़े रिसॉर्ट्स को सामूहिक रूप से रोजाना तीन करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान झेलना पड़ रहा है, क्योंकि बड़ी संख्या में पर्यटकों ने अपनी बुकिंग रद्द कर दी है। इसके अलावा सरकारी उपक्रम जंगल लॉजेज एंड रिसॉर्ट्स को भी लगभग 30 लाख रुपए प्रतिदिन का घाटा हो रहा है। वन विभाग को भी रोजाना करीब 30 लाख रुपए की राजस्व हानि हो रही है।
ईकोटूरिज्म सेक्टर कर्नाटक Karnataka में लगभग 8,000 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देता है। इनमें से करीब 80 प्रतिशत कर्मचारी स्थानीय गांवों और आदिवासी समुदायों से आते हैं, जिनकी आजीविका पूरी तरह पर्यटन गतिविधियों पर निर्भर है।
Published on:
29 Dec 2025 04:08 pm
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