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बाघों के पगमार्क ने उड़ाई वन विभाग की नींद

बाघ अभयारण्यों में बाघों, शिकार और अन्य स्तनधारियों की स्थिति पर एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार भी सुरक्षित आवास और शिकार की तलाश में लंबी दूरी तक पलायन करने वाले बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है।

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शहर Bengaluru से सटे और बाहरी इलाकों में तेंदुए Leopard का आना आम हो चुका है। लेकिन, अब शहर के कुछ बाहरी इलाकों और विशेषकर 106 वर्ग किलोमीटर में फैले बन्नेरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान Bannerghatta National Park (बीएनपी) के आसपास बाघों के पगमार्क Tiger Pugmark (पैरों के निशान) ने स्थानीय लोगों के साथ-साथ वन विभाग की भी चिंता बढ़ा दी है। विशेषज्ञों के अनुसार बाघ संरक्षण प्रयासों और बाघ अभयारण्यों में बाघों की बढ़ती आबादी के कारण क्षेत्र की तलाश में बाघ दूरदराज के इलाकों से पलायन कर रहे हैं। बीएनपी के निकट बाघों का दिखना आम हो चला है।

एक महीने पहले बन्नेरघट्टा चिड़ियाघर के सफारी क्षेत्र के पास एक नर बाघ देखा गया था। बाद में हरोहल्ली के पास एक और बाघ दिखा। इस क्षेत्र में मानव-हाथी संघर्ष आम है।

कहीं ज्यादा खतरनाक

वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ऐसा लगता है कि बीएनपी में दो या तीन बाघ घूम रहे हैं। हमने कई पगमार्क देखे हैं, लेकिन अभी तक कुछ भी पुष्टि नहीं हुई है। शहर से बहुत करीब होने के कारण यह क्षेत्र बाघों के सुरक्षित नहीं हैै। तेजी से हो रहे शहरी विकास के कारण, बीएनपी शहरीकरण से घिरा हुआ एक ऐसा क्षेत्र बन रहा है, जहां बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मानव बस्तियों के पास तेंदुआ और हाथियों के दिखने की बढ़ती संख्या इसका सबूत है। ऐसे में बाघ का आना कहीं ज्यादा खतरनाक हो सकता है।अधिकारियों का मानना है कि पारिस्थितिकी दृष्टि से बीएनपी बाघों को आश्रय दे सकता है क्योंकि यहां पर स्वस्थ शिकार का आधार है और तमिलनाडु से जुडऩे वाली पट्टी है। हालांकि, अवैध शिकार और मानवीय घुसपैठ के बढ़ते खतरे के कारण यह क्षेत्र असुरक्षित बना हुआ है।

पट्टी पैटर्न का विश्लेषण जारी

बीएनपी के उप वन संरक्षक काजोल ए. पाटिल ने कहा, बाघ अभयारण्यों में बाघों, शिकार और अन्य स्तनधारियों की स्थिति पर एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार भी सुरक्षित आवास और शिकार की तलाश में लंबी दूरी तक पलायन करने वाले बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है। हम वर्तमान में सभी जानवरों के पट्टी पैटर्न का विश्लेषण करने के लिए कैमरा ट्रैप छवियों की समीक्षा कर रहे हैं। इससे बाघों की संख्या का पता चलेगा। ऐसा लगता है कि बाघों की संख्या एक से ज्यादा है। हमें अन्य बाघ अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों के अधिकारियों से भी संपर्क करना होगा ताकि पता लगाया जा सके कि ये बाघ आखिर कहां से आए हैं।

जब तेंदुए की तलाश में दिखा बाघ

वर्ष 2016 में भी बीएनपी में एक से ज्यादा बाघ होने की बात सामने आई थी। बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान बचाव केंद्र से भागे तेंदुए की तलाश में गए अधिकारियों ने बाघ Tiger को देखा था। कई कैमरा ट्रैप और पगमार्क के आधार पर बीएनपी सफारी और बचाव क्षेत्र में दो नर बाघ की पुष्टि हुई थी।