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मापदंडों की पालना को दूर से नमस्कार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व नौकरी दोनों पर मार

हनुमानगढ़ सहित प्रदेश भर में खोले गए तीन दर्जन से अधिक राजकीय बीएससी नर्सिंग कॉलेजों में एक भी पद पर नहीं की भर्ती, युवा नौकरी से और विद्यार्थी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से हो रहे वंचित

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Hello from a distance to adherence to norms, kill both quality education and jobs

हनुमानगढ़. बीएससी, पोस्ट बेसिक एवं एमएससी नर्सिंग कॉलेजों को संबद्धता देने वाले सरकारी संस्थान और सरकार खुद ही मापदंडों की पालना को दूर से नमस्कार कर रही है। निजी बीएससी, पोस्ट बेसिक एवं एमएससी नर्सिंग कॉलेजों पर तो मापदंडों के अनुसार शिक्षक आदि नियुक्त नहीं होने पर कार्रवाई कर दी जाती है।
दूसरी ओर हनुमानगढ़ सहित सहित प्रदेश भर में खोले गए तीन दर्जन से अधिक राजकीय बीएससी नर्सिंग कॉलेजों में एक भी पद पर भर्ती किए बगैर ही उनका संचालन किया जा रहा है। डेप्युटेशन की बैसाखी से जैसे-तैसे कॉलेजों में कक्षाओं का संचालन कर काम चलाया जा रहा है। इससे युवाओं पर दोहरी मार पड़ रही है। क्योंकि जो निर्धारित डिग्री कर नौकरी की आस में बैठे हैं, वे नर्सिंग कॉलेजों में भर्ती नहीं होने से मायूस हैं। वहीं कॉलेजों में अध्ययनरत विद्यार्थी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। जानकारों की माने तो नर्सिंग कॉलेजों में फेकल्टी व अन्य पद जल्दी भर्ती की प्रक्रिया हो सकती है।

खोले गए 39 कॉलेज

जानकारी के अनुसार राजस्थान मेडिकल एज्युकेशन सोसायटी (राजमेस) ने गत करीब तीन बरस के दौरान प्रदेश भर में 39 बीएससी नर्सिंग कॉलेज खोले हैं। उनका संचालन भी किया जा रहा है। मगर तीन साल में एक भी पद पर भर्ती नहीं की गई है। सरकार ने पदों पर भर्ती नहीं की। ऐसे में डेप्युटेशन पर लगाया गया नर्सिंग स्टाफ ही पढ़ा रहा है।

यहां खुले, इतने पद

राजमेस के 39 बीएससी नर्सिंग कॉलेजों में लगभग 1794 पद हैं जिन पर जल्दी भर्ती करने की जरूरत है। स्थाई शिक्षकों आदि के अभाव में दी जा रही शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठना लाजिमी है। राजमेस ने हनुमानगढ़ के अलावा श्रीगंगानगर, चूरू, झुंझुनू, सीकर, बूंदी, टोंक, चितौडगढ़़, जालौर, प्रतापगढ़, नागौर, तिजारा, नाथद्वारा, लालसोट, जैसलमेर सहित कुल 39 नर्सिंग कॉलेज खोले थे जो संचालित हो रहे हैं।

कितना टीचिंग स्टाफ जरूरी

जानकारों की माने तो बीएससी नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए शैक्षणिक में नर्सिंग ट्यूटर से लेकर प्राचार्य तक 46 पद और अशैक्षणिक में 37 पद होने अनिवार्य हैं। शैक्षणिक में प्राचार्य कम प्रोफेसर एक, उप प्राचार्य कम प्रोफेसर एक, प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर के दो-दो पद और नर्सिंग ट्यूटर के 28 पद होने चाहिए। प्रदेश भर में दो हजार से अधिक पदों पर भर्ती होने से युवाओं को सरकारी नौकरी मिल सकेगी और विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी।

Published on:
07 Oct 2024 11:12 am
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