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Digital Arrest: एमपी के इंदौर शहर में अब एक 62 साल के क्लर्क डिजिटल अरेस्ट के शिकार बन गए। आरोपियों ने आधार कार्ड से सिम जारी करवाने और बैंक खाता खोलकर मनी लॉन्ड्रिंग करने का डर दिखाया। फर्जी पुलिस व सीबीआइ अधिकारी बनकर पूछताछ और गिरफ्तारी के नाम पर 27 लाख 60 हजार रुपए अपने खातों में ट्रांसफर करवा लिए।
आरोपी पूरे 11 दिन तक वीडियो और ऑडियो कॉल के माध्यम से संपर्क में रहे और धीरे-धीरे बुजुर्ग को ठगी का शिकार बनाते रहे। इसके साथ ही धमकाते रहे कि अगर घर में बताया तो जान को खतरा हो जाएगा।
एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने बताया, क्लर्क को 20 नवंबर को शाम 6 बजे फोन आया। कहा, मैं टेलीकॉम विभाग से बोल रहा हूं, क्या आपके नाम से दूसरी सिम इश्यू है? बुजुर्ग के इनकार करने पर आरोपी ने कहा, आपके नाम से दो सिम इश्यू हैं, उसका दुरुपयोग कर रहे हैं। आपको मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन में एफआइआर करवानी पड़ेगी। यदि आप मुंबई नहीं आ सकते हैं तो इस नंबर पर बात करें।
फोन काटने के बाद बुजुर्ग के मोबाइल पर वाट्सएप कॉल आया और आरोपी ने बुजुर्ग का आधार नंबर बताया और बोला कि इस आधार नंबर से सिम इश्यू कराई गई है, जिसका दुरुपयोग कर बैंक में खाता खोला गया है, जिसमें तस्करी का पैसा जमा है। बुजुर्ग ने डरकर सफाई पेश कर बताया, मेरे द्वारा कोई रुपये जमा नहीं कराए गए और ना ही मैंने किसी से कमीशन लेकर रुपया जमा कराया है। आरोपी डराकर बोला कि ऑनलाइन इन्वेस्टिगेशन होगी।
21 नवंबर को सुबह आरोपी फोन पर बोला कि आपकी सीबीआइ ऑफिसर के साथ मीटिंग होगी, 15 मिनट के बाद आरोपी ने दूसरे व्यक्ति से बात करवाई और बोला कि आप मनी लॉन्ड्रिंग के केस में फंसे हैं, जिसकी जांच मैं कर रहा हूं। जांच में सहयोग न करने पर गिरफ्तार किया जाएगा। अगर परिजन को बताया तो उन्हें जान का खतरा हो सकता है। फिर 10 मिनट बाद अज्ञात मोबाइल नंबर से वाट्सएप कॉल आया और उसने अपने आप को सीबीआइ ऑफिसर आनंद कुमार बताकर मनी लॉन्ड्रिंग के संबंध में बैंक खाते, चल-अचल संपत्ति के बारे में जानकारी पूछी।
इसके बाद बैंक की एफडी एवं म्यूचुअल फंड की राशि संबंधित बैंक में जमा कराने कहा गया। 21 नवंबर 2025 को एक लाख रुपये की एफडी तुड़वाकर पंजाब नेशनल बैंक के खाते में जमा कराया, उसके बाद 25 नवंबर 2025 को म्यूचुअल फंड की 13 लाख रुपये की राशि यूनियन बैंक के खाते में जमा कराई। फिर उसी दिन दोनों खातों के क्रेडिट मैसेज मोबाइल नंबर पर वाट्सएप कर फारवर्ड किया। इसके बाद 27 नवंबर 2025 को बैंक खातों की डिटेल दी। फिर उसी दिन बंधन बैंक खाते में आरटीजीएस के माध्यम से 12 लाख 90 हजार जमा किए। 28 नवंबर 2025 को दूसरे मोबाइल नंबर पर घर में रखे सोने की जानकारी दी।
जब बुजुर्ग ने अलग-अलग खातों में 27 लाख 60 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए तब उन्हें ठगी का अहसास हुआ। वापस नंबरों पर कॉल किया, किसी ने फोन नहीं उठाया। मामले में क्राइम ब्रांच को सूचना दी। पुलिस ने रविवार को जांच के बाद देर रात केस दर्ज कर लिया।
एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने बताया, डिजिटल अरेस्ट के केस में टीम जांच कर रही है। पूर्व में एक मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया था। तकनीकी जांच में साक्ष्य मिले हैं कि आरोपी लाओस, कंबोडिया, म्यांमार, हांगकांग और चाइना में बैठकर ऑर्गेनाइज्ड रूप से अपराध कर रहे हैं। डाटा एंट्री ऑपरेटर के नाम पर ठगी करवाई जा रही है। जनता से कहना चाहूंगा कि डिजिटल अरेस्ट कुछ नहीं होता है। पुलिस कभी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है।
आरोपियों ने बुजुर्ग को कहा कि गोल्ड पर लोन लेकर खाते में जमा करें। फिर बुजुर्ग ने पुश्तैनी गहनों पर 12 लाख 60 हजार का लोन लिया और उसी दिन 13 लाख 50 हजार का आरोपियों के बताए बंधन बैंक के खाते में आरटीजीएस के माध्यम से जमा करावा दिए।
Published on:
08 Dec 2025 10:38 am
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