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माफिया का डर, अपनों की चुप्पी दे रही नशे को बढ़ावा

- राजस्थान पत्रिका के नशा मुक्ति संग्राम टॉक शो में जागरूक नागरिकों ने साझा किए अनुभव

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श्रीगंगानगर. इलाके में बढ़ती नशे की खपत समाज के लिए सबसे बड़ी चिंता बनती जा रही है। ड्रग्स माफिया की सप्लाई तभी संभव हो पा रही है, जब युवा पीढ़ी में नशे की मांग लगातार बढ़ रही है। यह स्थिति न केवल वर्तमान बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के लिए भी घातक संकेत है। यह बात सोमवार को तपोवन नशा मुक्ति एवं पुनर्वास संस्थान में राजस्थान पत्रिका के नशा मुक्ति संग्राम विषय पर आयोजित टॉक शो में मौजूद जागरूक नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और अभिभावकों ने एक स्वर में कही। इस टॉक शो में वक्ताओं ने कहा कि नशे की लत अब केवल शहरों तक सीमित नहीं रही, बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी तेजी से फैल रही है। स्कूल और कॉलेज जाने वाली उम्र के किशोर-युवा इसकी चपेट में आ रहे हैं। कई मामलों में अभिभावकों को तब पता चलता है, जब स्थिति हाथ से निकल चुकी होती है।

तस्कर अब नशे का आंतकवाद

सामाजिक कार्यकर्ता विक्रम ज्याणी का कहना था कि इलाके में नशा अब घर घर पहुंच चुका है, ऐसे में यह तस्करी सिर्फ नशे तक सीमित नहीं है। यह नशे का आंतकवाद है जो युवा पीढ़ी को निगल रहा है। अब नशे एमडी जैसे कैमिकल्स के रूप में आने लगा है। इसे रोकने के लिए सामूहिक रूप से जागरूकता की जरूरत है।

शार्टकट लाइफ स्टाइल से बढ़ा नशा


शिक्षाविद तेज प्रताप यादव का कहना था कि रोजगार देने की प्रक्रिया जैसे जैसे सरकार ने कम की है, वैसे वैसे बेरोजगारी बढ़ी है। युवा शार्टकट लाइफ स्टाइल जीने के लिए नशे की गिरफ्त में आ गए है। प्रीगाबालिन साल्ट की दवाइयां रोगियों से ज्यादा नशेड़ी इस्तेमाल करने लगे है। यह रोकथाम अभी करनी होगी।

पारिवारिक रिश्ते टूटने की कगार पर

युवा नीतू कटारिया ने चिंता जताई कि नशे के कारण पारिवारिक रिश्ते टूट रहे हैं, अपराध बढ़ रहा है और युवाओं का भविष्य अंधकार में जा रहा है। ऐसे में खेलकूद प्रतिस्पर्धाओं को बढ़ावा देने के लिए सरकार नया प्लान तैयार कर युवाओं को जोँड़ने का फार्मूला अपनाएं ताकि नशे के प्रति आकर्षण कम हो सके।

सीमा पार से आ रहा सबसे ज्यादा नशा

पीएचडी प्राध्यापक निशा का कहना था कि राजस्थान में सबसे ज्यादा बॉर्डर पार नशे की सप्लाई हमारे श्रीगंगानगर एरिया में हो रही है, यह आंकड़ा चौंकाने वाला है। पड़ौसी मुल्क की रडार पर हमारे देश की युवा पीढ़ी है। ऐसे में अब अधिक अलर्ट रहने की जरूरत है। सामूहिक रूप से नशे की खपत को रोक सकते है।

सकरात्मक गतिविधियों से रोकथाम संभव

सामाजिक कार्यकर्ता वीना चौहान का कहना था कि नशा मुक्ति के लिए पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता सबसे जरूरी है। परिवारों को बच्चों के व्यवहार पर नजर रखनी होगी, स्कूल-कॉलेजों में नियमित काउंसलिंग होनी चाहिए और युवाओं को खेल, कला व सकारात्मक गतिविधियों से जोड़ा जाना चाहिए।

इलाके में बढ़ता नशा हो रहा है बेकाबू

शिक्षाविद डा. पीसी आचार्य का मानना है कि नशा के दुष्परिणाम इतना अधिक भयावह हो चुका है कि कई परिवार तो पलायन कर चुके है। हर गली मोहल्ले में नशे अधिक हावी है। जहां मौका मिला वहां नशे करते युवा दिखते है। अब तो हालात इतने अधिक हो गए है कि किसी से शिकायत तक नहीं कर सकते।

हर स्कूल में हो योगा की क्लास

येागा टीचर कुसुम का कहना है कि योग के माध्यम से बच्चों और युवाओं में नशे की रोकथाम कर सकती है। एकांकीपन या पढ़ाई से दूर रहने वाले स्टूडेंटस में मेडीटेशन क्लास की जरूरत होती है। हर स्कूल या कॉेलेज में योगा की क्लास शुरू हो जाएं तो नशे पर कुछ हद तक रोक लग सकती है।

घर से शुरूआत हो तभी नशे से लड़ाई संभव

तपोवन ट्रस्ट अध्यक्ष् महेश पेड़ीवाल का कहना है कि इलाके में बढ़ते नशे की रोकथाम के लिए सबसे पहले हर परिजन को अपने घर से शुरूआत करने होगी। अपने बच्चों को नशे से बचाने के लिए परिजन संवाद करें,बच्चा किस संगत में है, यह भी जांचे। संगत के बारे में परिजनों को पता जब लगता है तब तक वह नशे का आदी हो चुका होता है। पत्रिका ने यह मुहिम चलाकर जागरूक लोगों में जोश भरा है, उम्मीद है कि सरकार और प्रशासन के साथ साथ हर नागरिक इस नशे के आंतकवाद से मुकाबला कर सके।

Published on:
16 Dec 2025 01:20 pm
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