गुढ़ाचंद्रजी. कस्बे सहित आंतरी क्षेत्र के 2 दर्जन से अधिक गांव के लोगों को बीते दो दशक से मीठे पानी का इंतजार है। लेकिन चंबल परियोजना के अधिकारी कर्मचारियों की उदासीनता के चलते क्षेत्र के लोगों के अभी तक चंबल के मीठे पानी से हलक तर नहीं हो पाए हैं। दो दशक बाद भी लोगों […]
गुढ़ाचंद्रजी. कस्बे सहित आंतरी क्षेत्र के 2 दर्जन से अधिक गांव के लोगों को बीते दो दशक से मीठे पानी का इंतजार है। लेकिन चंबल परियोजना के अधिकारी कर्मचारियों की उदासीनता के चलते क्षेत्र के लोगों के अभी तक चंबल के मीठे पानी से हलक तर नहीं हो पाए हैं। दो दशक बाद भी लोगों के प्यासे कंठों पर पानी फिर रहा है। ऐसे में लोगों को मजबूरी में नलकूप का फ्लोराइड युक्त खारा पानी पीना पड़ रहा है। इससे लोग तरह-तरह की बीमारियों के शिकार हो गए हैं। इतना ही नहीं पानी की वजह से जवानी में बुढ़ापा आने लगा है। लेकिन क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के साथ सरकारी तंत्र पूरी तरह से उदासीन बना हुआ है। चंबल का पानी नहीं नसीब गुढ़ाचंद्रजी कस्बे सहित आंतरी क्षेत्र के पाल, लालसर, राजाहेड़ा, तालचिड़ा, गिदानी, आमकाजाहिरा, दलपुरा, धड़ांगा, रघुनाथपुरा,आमली पुरा आदि गांवों के लोग दो दशक से चंबल के पानी की बाट जोह रहे हैं। लेकिन संवेदक की अनदेखी के चलते अभी तक जनता को चंबल का पानी नसीब नहीं हो पाया है। दूसरी और लोगों को नलकूप का खारा पानी पीकर प्यास बुझानी पड़ रही है। अधिकांश गांव में पानी पाताल में पहुंच चुका है। इस कारण दूसरे गांव से महंगे दामों में टैंकर मंगवा कर काम चलाना पड़ रहा है। क्षेत्र में लाखों रुपए से बनी पेयजल टंकियां भी नकारा साबित हो रही है। पेयजल टंकियां लोगों का मुंह चिढ़ा रही है। नलकूपों से आता खारा पानी बीते दो दशक से पर्याप्त बारिश के नहीं होने से कुएं, बावड़ी, हेडपंप आदि सूख गए हैं। कुछ जो नलकूप चल रहे हैं उनमें खारा पानी निकल रहा है। जो पीने योग्य नहीं है। उसको पीने से बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। नलकूप का खारा पानी पीने से पेट में बीमारियां पनपती हैं। फ्लोराइड से घुटने जाम हो जाते हैं। नयावास निवासी नेतराम गुर्जर ने बताया कि फ्लोराइड युक्त पानी का असर सेहत पर पड़ रहा है। भाजपा मंडल महामंत्री ममता गोयल ने बताया कि पानी मोल मंगवाना पड़ रहा है। घटवासन मंडल समिति अध्यक्ष व पूर्व सरपंच रामखिलाड़ी मीणा मजबूरी में लोगों को फ्लोराइड युक्त पानी पीना पड़ रहा है। ढहरिया निवासी कमल मीना ने बताया कि पानी की गंभीर किल्लत चल रही है। फोटो केप्शन गुढ़ाचंद्रजी. चंबल परियोजना की पेयजल टंकी।