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आधा शहर हो रहा लाभान्वित, ओपीडी तीन गुणा तक बढ़ी, मिल रही इनडोर सेवा भी

जंक्शन में 30 बेड अस्पताल सही व अपने स्थाई भवन में संचालन होने से लोगों को हो रहा फायदा, जिला अस्पताल से थोड़ा कम हुआ रोगी भार, बढ़ते रोगी भार के दृष्टिगत अब चिकित्सकों तथा नर्सिंग स्टाफ के पद बढ़ाने की दरकार

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Half the city is getting benefited, OPD has increased three times, indoor service is also available

हनुमानगढ़. जंक्शन क्षेत्र में रिले केन्द्र के पास बहुमंजिला व अपने स्थाई भवन में 30 बेड राजकीय चिकित्सालय का संचालन होने से लोगों को ज्यादा फायदा हो रहा है। शहर के एक कोने में स्थित जर्जर व छोटे से भवन में संचालन के दौरान जितनी ओपीडी थी, अब नए भवन में उससे तीन गुणा तक बढ़ गई है। जाहिर है कि मापदंडों के अनुरूप व शहर के बीच बने नए भवन में अस्पताल संचालित होने से लाभान्वितों की संख्या बढ़ी है।
इससे जंक्शन क्षेत्र के लोग तो लाभान्वित हुए ही हैं, साथ ही टाउन स्थित राजकीय जिला अस्पताल से भी कुछ रोगी भार कम हुआ है। अब आवश्यकता इस बात की है कि बढ़ते रोगी भार के दृष्टिगत तीस बेड अस्पताल में चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ आदि के पद भी बढ़ाए जाए। कोई रिक्त पद है तो उसे शीघ्र भरा जाए।

नए भवन में बढ़ोतरी

जंक्शन राजकीय चिकित्सालय के प्रभारी डॉ. इंद्रसेन जाजड़ा ने बताया कि अस्पताल का नए भवन में संचालन शुरू होने के बाद ओपीडी बढ़ी है। पहले पुराने भवन में औसतन हर दिन 200 के करीब ओपीडी रहती थी जो अब बढकऱ तीन गुणा तक हो चुकी है। अभी अस्पताल में तीन चिकित्सक कार्यरत हैं।

मिलने लगा लाभ

पूर्व में कैनाल कॉलोनी के जर्जर भवन में चिकित्सालय के संचालन के दौरान वहां इनडोर चिकित्सा सेवा का पूरा लाभ रोगियों को नहीं मिल पाता था। पुराना भवन जर्जर व अपर्याप्त था। अब नए भवन में वार्ड का संचालन किया जा रहा है और रोगी इनडोर चिकित्सा सेवा से लाभान्वित हो रहे हैं। नया भवन शहर के बीच में भी है।

लम्बी प्रतीक्षा व संघर्ष

गौरतलब है कि अस्पताल के नए भवन निर्माण के लिए भूमि आवंटन से लेकर बजट आवंटन तक बहुत लम्बा संघर्ष करना पड़ा। इसके लिए प्रक्रिया तत्कालीन सीएमएचओ ने वर्ष 2013-14 में शुरू की थी। मगर राजकीय चिकित्सालय नाम होने के कारण कैनाल कॉलोनी अस्पताल को नए भवन निर्माण के लिए पीएचसी व सीएचसी की तर्ज पर बजट जारी करने में कई तकनीकी दिक्कतें आई थी। चिकित्सा विभाग की ओर से जिले से भेजे गए प्रस्ताव कई दफा खारिज किए गए। राजस्थान पत्रिका ने निरंतर इस मुद्दे को उठाया। शहर के जागरूक नागरिकों के जरिए समस्या समाधान की मांग उठाई।

Published on:
03 Mar 2025 11:21 am
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