परिवार की कड़वाहट आखिर अदालत की चौखट पर जाकर मिठास में बदल गई। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने एक महत्त्वपूर्ण आदेश में पति-पत्नी के बीच हुए आपसी समझौते को स्वीकार करते हुए तलाक की डिक्री को रद्द कर दिया।
ग्वालियर पत्रिका. परिवार की कड़वाहट आखिर अदालत की चौखट पर जाकर मिठास में बदल गई। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने एक महत्त्वपूर्ण आदेश में पति-पत्नी के बीच हुए आपसी समझौते को स्वीकार करते हुए तलाक की डिक्री को रद्द कर दिया।
रेखा (परिवर्तित नाम) का विवाद पति होने के बाद ससुराल छोड़ दिया। पत्नी के घर छोड़ दिए जाने के बाद पति ने विदिशा के कुटुंब न्यायालय में तलाक का आवेदन दायर किया, जिसे 8 अप्रेल 2024 को स्वीकार करते हुए तलाक की डिग्री पारित कर दी। इस डिक्री के खिलाफ पत्नी ने हाईकोर्ट में प्रथम अपील दायर की। पति-पत्नी हाईकोर्ट में उपस्थित हुए। न्यायमूर्ति आनंद पाठक और न्यायमूर्ति अनिल वर्मा की पीठ के सामने दंपती ने साफ कहा कि अब वे अपने विवाद खत्म कर साथ रहना चाहते हैं। इसके समर्थन में दोनों ने संयुक्त हलफनामा भी पेश किया। हाई कोर्ट ने माना कि जब दोनों ने स्वयं खटास दूर कर ली है और रिश्ते को फिर से मौका देना चाहते हैं, तो तलाक की डिक्री को बनाए रखना उचित नहीं। पत्नी सभी केस वापस लेगी। निर्णय सुनाते हुए कोर्ट ने उम्मीद जताई कि दंपती ‘‘विवाहिता जोड़े के रूप में साथ रहकर वैवाहिक जीवन बिताएंगे।