Inspiring story: कृष्ण गोपाल तिवारी 2008 बैच के आइएएस अफसर हैं। इनकी खास बात यह है कि देख सकने वाले कई अफसरों की तुलना में बेहतर परिणाम देते हैं।
first visually challenged collector in India: स्वयं देख नहीं सकते, लेकिन सहयोगी की आंखों और खुद के अनुभवों से विभाग पर पैनी नजर रखते हैं। जिस भी काम को हाथ में लेते वह पूरा करके ही दम लेते हैं। यूं कहें कि देख सकने वाले कई अफसरों की तुलना में बेहतर परिणाम देते हैं।
संभवत: यही वजह है कि सीएम डॉ. मोहन यादव को उनकी कार्यशैली पसंद आई और उन्हें मैदान में तैनात कर दिया। बात हो रही है दृष्टिहीन कृष्ण गोपाल तिवारी की। वे 2008 बैच के आइएएस अफसर हैं।
जल संसाधन विभाग में सचिव रह चुके हैं। उन्हें गुरुवार देर रात तीन जिलों वाले नर्मदापुरम संभाग का आयुक्त बनाया गया है। उन्होंने शुक्रवार को पदभार ग्रहण कर लिया। पहले समझाते थे, नहीं समझने पर कार्रवाई कृष्ण गोपाल फरवरी 2012 से अगस्त 2014 नर्मदापुरम में जिला पंचायत सीईओ रह चुके हैं। लोग उनके कार्यकाल को याद करते हैं।
इसकी वजह उनका कार्यालय से ज्यादा फील्ड में काम करने से जुड़ाव रहता है। उनके रहते पंचायतों के कामों में गुणवत्ता पर सर्वाधिक जोर था। वे पहले अमले को समझाते थे, नहीं मानने पर कड़ी कार्रवाई करते थे।
कृष्ण गोपाल तिवारी (Krishna Gopal Tiwari) मूलत: उत्तरप्रदेश (uttar pradesh) के अंबेडकर नगर जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने बैरसिया (भोपाल) एसडीएम से सेवा की शुरुआत की। वे छिंदवाड़ा में सहायक कलेक्टर रहे। फिर अपर कलेक्टर नर्मदापुरम हुए और यहीं जिला पंचायत सीईओ रहे। यहां से उमरिया कलेक्टर बनाए गए। तब वे देश के पहले दृष्टिहीन कलेक्टर बने। इसके बाद भोपाल गैस राहत एवं पुर्नवास, सामाजिक न्याय, आदिवासी विकास और जल संसाधन विभाग में प्रमुख सचिव जैसे पदों पर सेवाएं दीं।