हाइवे पर बैठे गोवंश से बढ़ती दुर्घटनाओं को लेकर प्रदेश सरकार ने भले ही विशेष अभियान शुरू कर दिया है, लेकिन हकीकत में यह अभियान कागजों पर ही चल रहा है। शहर से चोरों ओर निकलने वाले स्टेट और नेशनल हाइवे पर आज भी गोवंश का कब्जा है। पत्रिका ने अलग-अलग हाइवे की जानकारी निकाली तो पता चला कि वर्तमान स्थिति में 8 हजार से ज्यादा गोवंश सड़कों पर है।
सागर. हाइवे पर बैठे गोवंश से बढ़ती दुर्घटनाओं को लेकर प्रदेश सरकार ने भले ही विशेष अभियान शुरू कर दिया है, लेकिन हकीकत में यह अभियान कागजों पर ही चल रहा है। शहर से चोरों ओर निकलने वाले स्टेट और नेशनल हाइवे पर आज भी गोवंश का कब्जा है। पत्रिका ने अलग-अलग हाइवे की जानकारी निकाली तो पता चला कि वर्तमान स्थिति में 8 हजार से ज्यादा गोवंश सड़कों पर है। सड़कों पर बैठे इन मवेशियों से आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं, जिसमें कभी इंसान तो कभी गोवंश की मौत हो रही है। इन मवेशियों को सड़कों से हटाने की जिम्मेदारी स्थानीय निकाय और ग्राम पंचायतों को दी गई है, लेकिन वे केवल औपचारिकता ही कर रहे हैं।
सागर-बीना नेशनल हाइवे पर पिछले एक माह में तीन से चार बड़े हादसे सामने आए हैं। जिसमें खुरई-बीना के बीच बारधा गांव में दो हादसे हुए हैं, जिसमें 15 से ज्यादा गोवंश की मौत हो चुकी है। पिछले सप्ताह हादसे में एक कार में आग भी लग गई थी, गनीमत यह रही कि कार में सवार लोग समय से बाहर निकल आए। वहीं इसी रूट पर जरुआखेड़ा-नरयावली में भी हादसे हुए हैं।
सागर-भोपाल हाइवे पर शहर से निकलते ही सड़कों पर मवेशियों की जमावड़ा मिलने लगता है। इस रूट पर सबसे खराब स्थिति सीहोरा, बेरखेड़ी गांव में है। इसके अलावा राहतगढ़ के बाद रायसेन व विदिशा जिले में हाइवे से लगे गांव में भी गोवंश सड़कों पर है।
जैसीनगर मार्ग पर तालचिरी, मैनपानी गांव में हाइवे पर बैठे गोवंश के चलते रात के समय तो वाहनों का निकलना मुश्किल हो जाता है। इन दोनों गांव में 500 से ज्यादा मवेशी आज भी सड़कों पर हैं। वहीं भापेल की तरफ से जैसीनगर जाने में सेमाढ़ाना, सरखड़ी, अगरिया गांव के पास भी यही स्थिति है।
सागर-जबलपुर स्टेट हाइवे पर बम्होरी बीका, बन्नाद, ढाना, कड़ता गांव में सड़कों पर बैठे मवेशियों की संख्या देखें तो 700 से ज्यादा है। पिछले दिनों सड़क पर मवेशी से भिडऩे पर एक युवक की मौत हो गई थी तो वहीं दूसरे हादसे में 12 से 14 गोवंश की मौत हुई थी।
बहेरिया थाना से आगे निकलते ही दमोह रोड पर हाइवे से लगे हर गांव में सड़क पर गोवंश है, लेकिन परसोरिया, चनौआ, रोन-कुमरई आदि ऐसे गांव हैं जहां सड़क पर बैठे मवेशियों की संख्या सैकड़ों में है।
सागर से छतरपुर-टीकमगढ़ जाने वाले नेशनल हाइवे पर केरवना, कर्रापुर, दलपतपुर, शाहगढ़ के आसपास के गांव में मवेशियों ने सड़कों पर कब्जा करके रखा है।
हाइवे से मवेशियों को हटाने का अभियान तो हालही में शुरू हुआ है, लेकिन यहां शहर में नगर निगम पिछले दो साल से डेयरी विस्थापन कर रहा है और कैटल फ्री करने को लेकर लगा हुआ है। इसके बाद भी शहर की हर सड़क पर आवारा मवेशियों के साथ सांडों का उत्पात है। यहां तक की अधिकारियों के बंगलों के सामने भी रात के समय मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है।
हाइवे से मवेशियों को हटाने के अभियान के तहत पशुपालन विभाग सागर जिले की गोशालाओं में आने वाले नए गोवंश और सड़क पर मिले मवेशियों की टेगिंग कर रहा है। विभाग के अधिकारियों के अनुसार पिछले एक माह में जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में कुल 7216 गोवंश की टेगिंग की जा चुकी है और यह काम लगातार जारी है।
सड़कों पर बैठे मवेशियों की टेगिंग और उनके इलाज की जिम्मेदारी पशुपालन विभाग की है। इसके अलावा उन्हें सड़कों से हटाने का काम स्थानीय निकायों और पंचायतों को करना है।
डॉ. केएस राजपूत, उपसंचालक, पशुपालन