मूण्डवा (नागौर). कस्बे में लाखोलाव तालाब के पास स्थित दूदारामजी की देवळ में रविवार को मूण्डवा जाट समाज की बैठक आयोजित की गई। बैठक में जाट समाज के मौजीज लोगों ने सामाजिक कुरितियों पर व्यापक विचार-मंथन किया और चार महत्वपूर्ण फैसले किए।
बहन बेटियों को देंगे नकद राशि, बर्तन नहीं बंटवाने तथा तीये की बैठक से दसवें तक नहीं होगा भोज का आयोजन
मूण्डवा (नागौर). कस्बे में लाखोलाव तालाब के पास स्थित दूदारामजी की देवळ में रविवार को मूण्डवा जाट समाज की बैठक आयोजित की गई। बैठक में जाट समाज के मौजीज लोगों ने सामाजिक कुरितियों पर व्यापक विचार-मंथन किया और चार महत्वपूर्ण फैसले किए। ये निर्णय समाज में सामाजिक कुरितियों को समाप्त करने को लिए गए।
बैठक हुए निर्णय के अनुसार अब बहन-बेटियों को समारोहों में कपड़े देने के बजाय नकद राशि दी जाएगी। आमतौर पर देनलेन के कपड़े अनुपयोगी होते हैं, जिनका बहन-बेटियों या समधन उपयोग नहीं करतीं। नकद राशि देने से उन्हे आर्थिक मदद मिलेगी।
इसके अलावा, किसी के परिवार में मृत्यु होने पर आने वाली समधन को भी कपड़ा या वेश नहीं दिया जाएगा। उन्हें नकद राशि दी जाएगी। इसी प्रकार, शादियों में बहन-बेटियों की ओर से गवाए जाने वाले मंगल गीत के लिए आने वाली महिलाओं को बर्तन नहीं बांटे जाएंगे। शगुन के तौर पर गुड़-पतासे दिए जाएंगे।
समाज ने शोक के दिनों में किए जाने वाले भोज पर भी पाबंदी लगा दी है। अब किसी के निधन के तीसरे दिन से दसवें दिन तक रोजाना का भोज नहीं किया जाएगा। केवल डांगड़ी रात और गंगाप्रसादी पर ही भोजन बनाने की अनुमति होगी।
बैठक में उपस्थित समाज के लोगों और कृषि पर्यवेक्षक प्रेमाराम बाज्या ने इस निर्णय को समाज हित में बताया। कृषक पाबूराम चोयल, कमल डुडी, किसनाराम और जेताराम चोयल सहित अन्य ग्रामीणों ने इन फैसलों का स्वागत किया।
बैठक के दौरान मौजीज लोगों ने कहा कि ये निर्णय अपव्यय रोकने और सामाजिक रीति-रिवाजों को सरल और उपयोगी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। इससे बहन-बेटियों को वास्तविक लाभ मिलेगा और समाज में व्यर्थ के लेन-देन की कुप्रथा समाप्त होगी।