ऑनलाइन गेमिंग का जाल अपनी जड़ें जमा चुका है। इसमें सबसे ज्यादा बर्बाद हमारी युवा पीढ़ी हो रही है। ग्रामीण युवा और स्कूली बच्चे भी ऑनलाइन जुए के शिकार होने लगे हैं।
सागर. ऑनलाइन गेमिंग का जाल अपनी जड़ें जमा चुका है। इसमें सबसे ज्यादा बर्बाद हमारी युवा पीढ़ी हो रही है। ग्रामीण युवा और स्कूली बच्चे भी ऑनलाइन जुए के शिकार होने लगे हैं। गेम के इस नशे में फंसकर कोई अपराधी बन रहा है तो किसी को सुसाइड की राह चुननी पड़ रही है। पिछले 4-5 सालों में ऑनलाइन गेमिंग की यह लत ज्यादा तेजी से बढ़ी है। जानकारों का कहना है कि वर्तमान में 35 प्रतिशत से ज्यादा युवा किसी न किसी प्रकार के ऑनलाइन गेम की गिरफ्त में है। इससे अपराधों का ग्राफ भी बढ़ा है।
मोतीनगर पुलिस ने 22 सितंबर को संकेत पुत्र संतोष जैन ऑनलाइन सटटा खिलाते पकड़ा और उसके बताने पर छापामार कार्रवाई करते हुए शनीचरी के एक मकान से छत्तीसगढ़ निवासी 8 सटोरियों को पकड़ा पड़ताल में पता चला कि इन सबका सरगना नमक मंडी क्षेत्र निवासी 22 वर्षीय अमन जैन था, पुलिस ने 3 दिन बाद उसे इंदौर से गिरफ्तार किया। अमन को अमीर बनने का शौक था तो वह कच्ची उम्र में ऑनलाइन गेमिंग से जुड़ा और कुछ ही समय में उसके संपर्क दुबई व बांग्लादेश में बैठे लोगों से हो गए थे।
30 जुलाई 2021 को शहर के सागर रोड निवासी 13 साल के बच्चे ने ऑनलाइन गेम में 40 हजार रुपए हारने के बाद फंदा लगाकर जान दे दी थी। इस घटना में माता-पिता के इकलौते बेटे को खोने से पूरे शहर को झकझोर दिया था।
7 सितंबर 2024 को बुड़ेरा थाना क्षेत्र के नन्ही टेहरी के लुडिय़ाखेरा निवासी लखन रैकवार ने अपने दोस्त दिनेश रैकवार के साथ ऑनलाइन जुआ खेला था और दोनों 5 हजार रुपए हार गए। 2500 रुपए लखन को देने थे, लेकिन उसने रुपए देने से इंकार कर दिया तो दिनेश ने गुस्से में आकर लखन के गले में लकड़ी फंसा कर हत्या कर दी थी। बताया गया था कि दिनेश को ऑनलाइन जुआ खेलने की लत थी और वह पहले भी 1.5 लाख रुपए हार चुका था।
4 अक्टूबर 2024 की रात तेजगढ़ के रहने वाले तीन युवकों ने जिला सहकारी बैंक की दीवार में होल कर डकैती की थी। उन्होंने बैंक की तिजोरी में रखे 15 लाख रुपए चुराए थे। गिरफ्तारी के बाद आरोपी हिमांशु उर्फ निक्की दीक्षित, दीपक उर्फ दिप्पू लोधी और अंशुल विश्वकर्मा ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि अंशुल ऑनलाइन गेमिंग में लाखों रुपए हारा था। कर्जा चुकाने अपने 2 साथियों के साथ बैंक में डकैती की थी।
ऑनलाइन गेमिंग से युवाओं को बचाने सरकार एप को प्रतिबंधित कर सकती है। इससे ज्यादा जरूरी परिजनों/दोस्तों/परिचितों द्वारा मॉनिटरिंग करना है। वर्तमान में यह एक बिजनेस बन गया है, जिसमें फंसकर आपको गेम खेलने मोबाइल खरीदना पड़ेगा, डाटा रीचार्ज होगा साथ ही कई अन्य खर्चे बढ़ेंगे। किसी देश को बर्बाद करने दुश्मन की जरूरत नहीं है, उसकी युवा पीढ़ी को ऐसी लत लगा दो जिससे उसका ध्यान भटक जाए। आज देश में ड्रग्स के बाद ऑनलाइन गेमिंग दूसरी ऐसी लत है जो नई पीढ़ी को बर्बाद कर रही है। इसमें फंसने के बाद युवा या तो अपराध करने लगता है या फिर सुसाइड कर लेता है।
प्रो. देवाशीष बोस, एचओडी, अपराध शास्त्र और न्यायिक विज्ञान विभाग, केंद्रीय विश्वविद्यालय